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अवैध डबल डेकर बस स्टैंड बना ट्रैफिक जाम की वजह, RTO की मिलीभगत से संचालित हो रहा संचालन!

अवैध डबल डेकर बसों ने सड़क पर बनाया गैरकानूनी स्टैंड, RTO की चुप्पी से बढ़ी जनता की परेशानी

राजधानी लखनऊ के अवध नेहरिया से मानकनगर पुल तक का इलाका इन दिनों एक नई समस्या से जूझ रहा है, जो दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है। इस पूरे मार्ग पर अवैध रूप से खड़ी निजी डबल डेकर बसों ने न केवल यातायात व्यवस्था को बिगाड़ दिया है, बल्कि आम नागरिकों के लिए भारी असुविधा का कारण भी बन गई हैं। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि ये बसें बिना किसी वैध स्टैंड या अनुमति के सड़कों के किनारे खड़ी कर दी जाती हैं और सवारियों की खुल्लमखुल्ला ढुलाई होती है। इससे न केवल दिनभर भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है, बल्कि पैदल यात्रियों और दोपहिया वाहन चालकों के लिए जान जोखिम में डालकर रास्ता पार करना मजबूरी बन गया है। यह भी आरोप है कि ये बसें न सिर्फ यात्री ढो रही हैं, बल्कि इनके जरिये बिना GST बिल के भारी मात्रा में माल भी ढोया जा रहा है, जो कि पूरी तरह गैरकानूनी और कर चोरी की श्रेणी में आता है। सबसे गंभीर बात यह है कि इस अवैध बस स्टैंड के संचालन के पीछे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) की मिलीभगत और ‘मेहरबानी’ बताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, RTO अधिकारियों की शह पर ही ये बसें नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पूरे इलाके में मनमानी कर रही हैं। इन बस संचालकों को न तो पुलिस का भय है, न ही किसी विभागीय कार्रवाई की चिंता। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी वे पुलिस या ट्रैफिक विभाग से शिकायत करते हैं, तो कुछ देर के लिए कार्रवाई का दिखावा जरूर होता है, लेकिन अगले ही दिन हालात पहले जैसे हो जाते हैं। इस पूरे घटनाक्रम में यह सवाल उठता है कि जब यह अवैध संचालन खुलेआम हो रहा है, तो जिम्मेदार विभाग आँख मूंदकर क्यों बैठा है? प्रशासन की यह चुप्पी और निष्क्रियता संदेह को और भी गहरा करती है। आए दिन लगने वाले ट्रैफिक जाम के चलते न सिर्फ आम आदमी को परेशानी होती है, बल्कि स्कूल जाने वाले बच्चे, ऑफिस जाने वाले कर्मचारी और आपातकालीन सेवाएं भी प्रभावित होती हैं। कभी-कभी तो ट्रैफिक इतना लंबा हो जाता है कि एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड जैसे वाहन भी समय पर अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाते। वहीं दूसरी ओर, इन बसों से हो रही अवैध माल ढुलाई से न सिर्फ सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि बाजार में असमान प्रतिस्पर्धा भी उत्पन्न हो रही है, जिससे वैध रूप से व्यापार करने वाले व्यापारी भी परेशान हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय संगठनों ने इस मुद्दे को कई बार प्रशासन के सामने उठाया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो यह अव्यवस्था न केवल ट्रैफिक की समस्या को बढ़ाएगी, बल्कि एक दिन कानून-व्यवस्था के लिए भी चुनौती बन सकती है। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि RTO की भूमिका की निष्पक्ष जांच हो, दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए और पूरे क्षेत्र को अवैध बसों से मुक्त किया जाए। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में इस तरह की गतिविधियों की पुनरावृत्ति न हो, ताकि आम जनता को राहत मिल सके और शहर की साख बरकरार रह सके।

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