जम्मू कश्मीर

सीमा पर दुश्मन को मात दे रही हाईटेक फैंस, स्मार्ट किसान

सीमा पार से खून खराबा करने के नित नए तरीके तलाशने वाले दुश्मन के मंसूबे नकारने के लिए फैंसिंग हाइटैक तो किसान स्मार्ट हो रहा है। बिना वर्दी वाले ये सीमा प्रहरी हाथ में प्रहरी दराती, खुरपा लेकर फैंसिंग के पार अपने खेतों में जाते समय बायोमीट्रिक हाजरी भी लगाते हैं। जान हथेली पर लेकर खेती करने वाले ये किसान दुश्मन के इलाके की रैकी भी कर लेते हैं।

सीमा पर खेती आसान नही है, अंतराष्ट्रीय सीमा पर खेतों में काम करते समय वे दुश्मन की गोली की रेंज में होते हैं। कई बार कई किसान पाकिस्तान की गोलीबारी की जद में आकर शहीद भी होते हैं लेकिन ऐसी घटनाएं सीमांत किसानों के देशभक्ति के जज्बे को काम नही करती हैं। यह उनका बुलंद हौंसला ही है कि देश के अन्य हिस्सों की तरह राज्य में सीमांत किसान परेशान होकर आत्महत्याएं नही करते हैं। वे सरहद के रखवालों की तरह दुश्मन द्वारा आतंकवादियों की घुसपैठ के लिए बनाई सुरंगे भी तलाश लेते हैं।

दुश्मन दिमाग को मात देने के लिए बनाई गई नई व्यवस्था के तहत सीमा पर फैंसिंग में बनाए गए गेट पार करने के लिए बायोमीट्रिक हाजरी लगाना जरूरी हो गया है। फिलहाल यह व्यवस्था कठुआ के हीरानगर, सांबा जिले के कुछ हिस्से के साथ जम्मू के अखनूर क्षेत्र में आईबी पर की गई है। इस व्यवस्था के तहत किसान को छोड़कर कोई अन्य फैंस के पास नही जा सकता है। यह व्यवस्था बनकर तैयार हो गई है और 11 किलोमीटर स्मार्ट फेंसिंग में लागू भी कर दी गई है। ऐसा नहीं है कि खेताें में किसानों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया जाता है। जब तक किसान खेतों में रहते हैं, तब तक सीमा सुरक्षा बल के जवान उनकी सुरक्षा में खड़े रहते हैं।

राज्य में कुल 202 किलोमीटर आइबी में से चिनाब के पार दस किलोमीटर सेना के पास है। बाकी 192 की सुरक्षा का जिम्मा सीमा सुरक्षा बल संभाल रही है। अकसर पाकिस्तान की ओर से सीमा पर हालात बिगाड़ने की लिए गाेलीबारी की जाती हैं। ऐसे में गोलीबारी में फंसने वाले किसानों को सुरक्षित निकालने के लिए बंदोबस्त रहता है। आईबी पर 200 से अधिक गांव गोलाबारी की जद में रहते हैं। इन गांवों के हजारों किसान सीमा पर खून, पसीना एक कर फसल उगाते हैं।

सीमा सुरक्षा बल जम्मू फ्रंटियर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जागरण को बताया सीमा पर भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की व्यवस्था की जा रही है। इसमें सुरक्षा के आधुनिक तरीके शामिल हैं। कुछ हिस्सों में स्मार्ट फैंस स्थापित करने के साथ सीमांत किसानों का डाटा बैंक बनाया गया है ताकि उन्हें फैंस से आगे खेतों में जाने में परेशानी न आए। शुरूआती चरण में कुछ जगहों पर बायो मीट्रिक हाजरी की व्यवस्था की गई है। इसके बारे में किसानों को प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने बताया कि सीमा पर कितने किसान काम कर रहे हैं, इसके आधार पर ही तय किया जाता है कि उनकी सुरक्षा में कितने जवानों की तैनाती की जाएगी।

आसान नहीं है स्मार्ट फेंसिंग को भेदना

सरहद पर घुसपैठ की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने विदेशों की तरह ‘स्मार्ट फेंसिंग’ की तकनीक को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। गत 17 सितंबर को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-पाक सीमा के साढ़े पांच-पांच किलोमीटर के दो क्षेत्रों में स्मार्ट फेंसिंग की शुरुआत की। गृह मंत्रालय ने यह घोषणा की है कि भविष्य में 2026 किलोमीटर के उस पूरे सीमा क्षेत्र, जिसे घुसपैठ के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है, को भी स्मार्ट फेंसिंग से युक्त किया जाएगा। इसकी शुरुआत व्यापक घुसपैठ सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआइबीएमएस) के तहत हुई है। कंटीले तारों की दीवार तो सीमा पर लगी है, लेकिन उसे काटकर घुसपैठिये देश में प्रवेश कर जाते हैं। परंतु अब ‘स्मार्ट फेंसिंग’ की इस तकनीकी दीवार को भेदना उनके लिए आसान नहीं होगा। 

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