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जम्मू-कश्मीर में चुनाव पर बंटे राजनीतिक दल…

राज्यपाल एनएन वोहरा की ओर से शुक्रवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य बनाने के लिए आपसी सहयोग पर सभी दल सहमत थे, लेकिन राज्य में चुनावों को लेकर सभी बंटे नजर आए। कांग्रेस ने विधानसभा भंग या निलंबित करने का फैसला राज्यपाल पर छोड़ा और जल्द चुनाव कराने की मांग की।

पीडीपी ने विधानसभा को निलंबित रखने का ही पक्ष लिया और कहा कि विधायकों को काम करने का मौका दिया जाना चाहिए। वहीं नेशनल कांफ्रेंस ने विधानसभा भंग कर चुनाव करवाने की मांग की। भाजपा ने कहा कि अभी चुनाव लायक माहौल नहीं है, जबकि पैंथर्स पार्टी ने विधानसभा भंग कर राज्य में नए चुनाव कराने की मांग की।पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार भंग होने के बाद गत बुधवार को राज्यपाल एनएन वोहरा ने राज्यपाल शासन लागू करते हुए राज्य प्रशासन की बागडोर अपने हाथ में ली थी।

उन्होंने राज्य के समग्र हालात पर विचार-विमर्श करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी।बैठक में मौजूद रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता सत शर्मा ने बताया कि हमने सरकार से अलग होने के कारणों को गिनाते हुए साफ कहा कि हमारा मकसद देश और राज्य के लोगों की सुरक्षा है। मौजूदा हालात में एक दूसरे पर आरोप लगाने के बजाय सभी राजनीतिक दलों को आम लोगों के बीच जाकर शांति का माहौल बनाने के लिए काम करना चाहिए, ताकि श्री अमरनाथ यात्रा में किसी तरह की अनहोनी न हो। हमने राज्यपाल से आग्रह किया कि रियासत में पंचायत, निकाय व अन्य चुनाव हों, लेकिन पहले चुनावों लायक साजगार माहौल बने।

यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा मौजूदा विधानसभा भंग करने के पक्ष में है तो उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने यह मुद्दा उठाया था, लेकिन हमने कहा कि चुनाव लायक अभी माहौल नहीं है।

नेशनल कांफ्रेंस के कार्यवाहक अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत नहीं की, लेकिन बैठक में उन्होंने राज्य में विशेषकर कश्मीर में हालात सामान्य बनाने के लिए विश्वास बहाली के लिए कदम उठाने और मानवाधिकारों के हनन के प्रति जीरो टालरेंस की नीति अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने राज्यपाल से कहा कि विधानसभा को निलंबित रखने के बजाय जल्द भंग कर चुनाव कराए जाने चाहिए।

पैंथर्स पार्टी के नेता हर्ष देव ¨सह ने कहा कि हमने बैठक में राज्यपाल से कहा कि मौजूदा विधानसभा भंग कर दी जाए। इसे निलंबित रखने से राजनीतिक भ्रष्टाचार और विधायकों की खरीद फरोख्त बढ़ेगी। इसके अलावा संविधान भी कहता है कि अगर कोई राजनीतिक दल सरकार नहीं बनाना चाहता तो नए चुनाव कराए जाने चाहिए।

हमने राज्यपाल को बताया कि यहां 100- 100 करोड़ की विधायकों की बोली लगने की बातें हो रही हैं।पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता दिलावर मीर ने बैठक में मौजूदा राज्य विधानसभा को निलंबित रखने का ही पक्ष लिया और कहा कि विधायकों को काम करने का मौका दिया जाना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर ने बताया कि बैठक में हमने कहा कि राज्य के मौजूदा हालात के लिए पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार का तीन साल तक चला कुशाासन ही जिम्मेदार है। सरकारी तंत्र में योग्यता को नहीं, राजनीतिक हितों को ध्यान में रखा गया, जिससे कश्मीर का नौजवान हताश होकर ¨हसक हुआ है।

उन्होंने कहा कि हमने राज्यपाल से प्रशासन में बदलाव लाने और जनता तक प्रशासन की पहुंच बनाने का आग्रह करते हुए राज्य में जल्द नए चुनाव कराने का सुझाव दिया। लेकिन विधानसभा भंग की जाए, या उसे निलंबित रखा जाए, यह फैसला हमने राज्यपाल पर ही छोड़ा है।डेमोक्रटिक पार्टी नेशनलिस्ट के अध्यक्ष गुलाम हसन मीर, पीडीएफ चेयरमैन हकीम मोहम्मद यासीन ने भी बैठक के बाद बातचीत में कहा कि मौजूदा विधानसभा को भंग कर राज्य में जल्द चुनाव कराए जाएं। इसके साथ ही राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को बेहतर बनाने व कश्मीर मसले के हल के लिए संबंधित पक्षों से बातचीत की प्रक्रिया शुरू की जाए। गुलाम हसन मीर ने कहा कि राज्यपाल ने रियासत में हालात को बेहतर बनाने के लिए सभी की राय मंागी और सभी ने इस सिलसिले में अपना पक्ष रखा है।

किसने क्या कहा :-

कांग्रेस : विधानसभा भंग या निलंबित करने का फैसला राज्यपाल पर छोड़ा। जल्द चुनाव की मांग।

-पीडीपी : विधानसभा को निलंबित ही रखें। विधायकों को काम करने का मौका दें।

नेकां : विधानसभा भंग कर चुनाव करवाएं जाएं।

भाजपा : राज्य में अभी चुनाव लायक माहौल नहीं ।

पैंथर्स : विधानसभा भंग कर राज्य में नए चुनाव कराए जाएं।

महबूबा का विकास के मामलों को अंतिम रूप देने का आग्रह

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात कर राज्य के विकास से संबंधित उन सभी मामलों को अंतिम रूप देने का आग्रह किया जिन पर वह मुख्यमंत्री पद रहते हुए फैसला नहीं ले पाई थी।

वहीं महबूबा ने शाम को ट्वीट किया कि उन्होंने राज्यपाल से अनुच्छेद 370 और 35ए के संरक्षण को यकीनी बनाने पर जोर दिया।गौरतलब है कि गत मंगलवार को भाजपा द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद पीडीपी-भाजपा गबंधन सरकार गिर गई थी।

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और राज्यपाल शासन लागू होने के बाद महबूबा की राज्यपाल के साथ शुक्रवार को पहली मुलाकात थी। राजभवन के अनुसार, महबूबा ने रियासत में हालात सामान्य बनाने और मुख्यधारा के प्रति स्थानीय लोगों में विशेषकर युवाओं में विश्वास पैदा करने के लिए सभी राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाने की जरूरत पर जोर दिया।

महबूबा ने राज्यपाल के संज्ञान में रियासत के विकास से संबधित कुछ महत्वपूर्ण मामलों को संज्ञान में लाते हुए बताया कि वह इन मामलों को अंतिम रूप देते हुए कोई फैसला लेती, उनकी सरकार गिर गई थी। इसलिए अब उन्हें (राज्यपाल) को इन सभी मामलों को प्राथमिकता के आधार पर लेते हुए आगे बढ़ाकर इन पर काम करना चाहिए। 

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