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केरल: राहत शिविरों में लोगों का हाल जानने पहुंचे मुख्यमंत्री को लोगों ने झिड़का, गिनाईं परेशानियां

पानी घटने से केरल के आई भीषण बाढ़ का प्रभाव कम हो गया है। ऐसे में राहत शिविरों में मौजूद राज्य की जनता का हाल-चाल लेने के लिए गुरुवार को मुख्यमंत्री पिनरई विजयन पहुंचे थे। लेकिन वहां उन्हें लोगों ने खरी-खोटी सुनाई। लोगों ने मुख्यमंत्री से राहत शिविरों में सुविधाओं की कमी को लेकर शिकायत की साथ ही उन्हें देर से परेशानियों को सुनने आने की वजह से झिड़क दिया।

विजयन ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में बने राहत शिविरों का दौरा किया और लोगों को आश्वस्त किया कि जिनका बाढ़ में सबकुछ खो गया है, उन्हें दोबारा जिंदगी शुरू करने में सरकार मदद करेगी। लेकिन लोगों ने गुस्से से उनका स्वागत किया। जहां कई लोगों ने उनके देर से आने की शिकायत की वहीं दूसरे लोगों ने खराब खाने, शौचालय सुविधाओं की कमी, सांप काटने का खतरा और दूषित पानी की फरियाद की। 

मुख्यमंत्री हर कैंप में 10-15 मिनट में रुके और दो घंटे में राज्य की राजधानी पहुंच गए। उनके द्वारा राहत शिविरों में बिताए कम समय को लेकर भी निवासियों में गुस्सा था। उत्तरी परावुर के राहत कैंप में रहने वाली मीनक्षी अम्मा ने कहा, ‘उनका दौरा केवल व्यवहारिक था। वह केवल सभी को छूकर जाना चाहते थे। हम उन्हें अपनी परेशानियों के बारे में नहीं बता पाए।’

विजयन ने बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र चेंगन्नूर, कोझेनचेरी, अलपुझा, उत्तरी परावुर और चालाकुडी का दौरा किया। उनका कहना है कि चूंकि बचाव कार्य पूरा हो चुका है अब सरकार लोगों के पुर्नवास पर ध्यान केंद्रित करेगी। लेकिन बहुत से लोगों की शिकायत है कि उनका दौरा व्यवहारिक था और पुलिसवालों ने उन्हें उनकी परेशानियों को सुनने नहीं दिया।

एक महिला ने चिल्लाते हुए कहा कि 800 वाले शिविर में केवल चार शौचालय हैं। जिसके जवाब में विजयन ने कहा कि वह और शौचालयों की व्यवस्था करवा देंगे। चेंगन्नूर के क्रिश्चियन कॉलेज में बने राहत शिविर का दौरा करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा, ‘सरकार राहत शिविरों में पीड़ित लोगों के लिए काम करने को लेकर प्रतिबद्ध है। हम उन्हें घर बनाने और आजीविका चलाने में मदद करेंगे। बहुत सारी संस्थाएं शिविरों में बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही हैं। सरकार आपके साथ है। हम आपको दोबारा अपने पैरों पर खड़ा करने की हर संभव कोशिश करेंगे।’

इस समय सरकार एक अत्यंत कठिन दौर से गुजर रही है। 10 लाख से ज्यादा लोग राज्य के 6000 राहत शिविरों में रह रहे हैं। बहुत सारे कैंप में जहां उचित स्वच्छता सुविधाओं की कमी है। वहीं पानी से होने वाली बिमारियों का खतरा भी बना हुआ है। युद्ध स्तर पर सफाई अभियान चलाया जा रहा है। इसके बावजूद प्रभावित क्षेत्रों का कहना है कि उन्हें जानवरों के अवशेष को दफनाने के लिए सूखा स्थान नहीं मिल रहा है। बहुत सी जगहों पर गंदे कपड़े, पानी की खाली बोतलें, प्लास्टिक अवशेष और खराब हो चुके इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बिखरे हुए हैं।

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