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भीमा-कोरेगांव हिंसा को लेकर आज जंतर-मंतर पर प्रदर्शन, मानवाधिकार आयोग ने भेजा गिरफ्तारी का नोटिस

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में देश के अलग-अलग शहरों से पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग ने मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है। आयोग इससे पहले इसी मामले में जून में भी राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चुका है।

वहीं इस मामले में कई सिविल सोसाइटी संगठनों ने इस कार्रवाई की निंदा की है। गिरफ्तारी के विरोध में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन का ऐलान किया है। इससे पहले बुधवार को दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के बाहर लोगों ने धरना प्रदर्शन का आयोजन किया था। 

पुलिस ने नहीं किया नियमों का पालन 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मीडिया रिपोर्ट्स को आधार बनाते हुए कहा है कि पुलिस अधिकारियों ने गिरफ्तारी के दौरान पूरी तरह नियम-प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया, जो सीधे-सीधे मानवाधिकारों का उल्लंघन है। साथ ही आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव और राज्य के पुलिस महानिदेशक से इस मामले में चार हफ्तों में जवाब मांगा है।

28 अगस्त को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे पुलिस ने गोवा, दिल्ली, तेलंगाना और झारखंड में छापे मारकर वामपंथी विचारक वरवरा राव, पत्रकार गौतम नवलखा, मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, सामाजिक कार्यकर्ता वेरनॉन गोंजालविस और स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया था। 

दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रांजिट रिमांड पर लगाई रोक 

आयोग के मुताबिक 29 अगस्त को आईं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली हाईकोर्ट ने दस्तावेजों की अनुवादित प्रति मांगते हुए गौतम नवलखा की ट्रांजिट रिमांड पर रोक लगा दी थी। वहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज की ट्रांजिट रिमांड पर फरीदाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को फैसला देना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस प्राथमिकी में सुधा का नाम नहीं है और उन्हें केवल विचारधारा के चलते गिरफ्तार किया गया। 

आयोग ने इससे पहले भी दिया था नोटिस 

इससे पहले भी आयोग ने जिनेवा की एक एनजीओ की शिकायत के आधार पर 29 जून को महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्तों में जवाब मांगा था। महाराष्ट्र पुलिस ने जून में पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं सुरेंद्र गाडलिंग, रोना विल्सन, सुधीर धावले, शोमा सेन और महेश राउत को गिरफ्तार किया था। 

‘शहरी नक्सली’ भाजपा की खोज 

देश के अलग-अलग हिस्सों से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का पूरे देश में विरोध शुरु हो गया है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिफ्तारी के खिलाफ सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि गुरुवार को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन होगा। लेफ्ट के साथ सभी प्रगतिशील समूह इसमें शामिल होंगे। गिरफ्तारी के विरोध में ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेंस एसोसिएशन ने 30 अगस्त को जनएकता जन अधिकार आंदोलन का आयोजन कर रहा है, और सभी लोकतांत्रिक संगठनों से अपील की है कि इस कठोर सरकार के खिलाफ लोगों को संगठित करें।

एआईडीडब्ल्यूए की अध्यक्षा मालिनी भट्टाचार्य ने अपने लिखित बयान में कहा कि वह इन कार्यकर्ताओं और वकीलों की तत्काल रिहाई की मांग करते हैं, साथ ही संघ और केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें इस तरह की छापेमारी से बाज आएं। इससे पहले बुधवार को दिल्ली सोलिडरिटी ग्रुप ने दिल्ली के महाराष्ट्र सदन के बाहर लोगों ने धरना प्रदर्शन का आयोजन किया। 

‘शहरी नक्सली’ भाजपा की खोज 

वहीं कई सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं ने इन सभी की गिरफ्तारी की निंदा की है। जेएनयू की पूर्व उपाध्यक्ष शहला राशिद शोहरा, एडमिरल रामदाम, जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष मोहित पांडे, एक्टिविस्ट शबनम हाशिमी, तीस्ता सीतलवाड़, स्वामी अग्निवेश, विधायक जिगनेश मेवानी, जेएनयू के छात्र उमर खालिद समेत सिविल सोसाइट की कई सदस्यों ने सरकार की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की।

अपने संयुक्त बयान में कहा कि वे सामाजिक कार्यकर्ताओं पर सरकारी की छापेमारी की कार्रवाई की कड़ी भर्त्सना करते हैं। उन्होंने कहा कि गरीबों और पीड़ितों की आवाज उठाने वालों पर सरकार इस तरह की कार्रवाई करते डराना चाहती है। भाजपा 2019 के चुनावों से पहले एक झूठे दुश्मन का डर दिखा कर अपने पक्ष में ध्रवीकरण करना चाहती है। सरकार की कोई बुराई न कर सके इसलिए “शहरी नक्सलियों” जैसा नया शब्द इजाद किया गया।

लोकतंत्र के लिए खतरा 

सामाजिक सहमत संगठन ने भी इस कार्रवाई की निंदा की है। जारी संयुक्त बयान में कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी चौंकानी वाली और चिंतित करने वाली है। सरकार ने यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि क्या इन सदस्यों की गिरफ्तारी गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत की गई है। क्योंकि उनके परिजनों को भी नहीं पता कि उन्हें किन आरोपों में गिरफ्तार किया गया है।

गिरफ्तार किए गए सभी लोग पीड़ित और हाशिए पर रहने वाले लोगों के उत्पीड़न और लोकतांत्रिक अधिकारों की आवाज उठाते थे। यह कार्रवाई हमारे लोकतंत्र के लिए यह खतरा स्पष्ट और गंभीर है। हम इनकी गिरफ्तारी की स्पष्ट शब्दों में निंदा करते हैं, और उनकी तुरंत रिहाई की मांग करते हैं।

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