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धर्मिष्टा ने कर्ज के पैसों से शुरू किया पशुपालन, आज हैं ‘रोजगारदाता’

जिले के वाघोड़िया तालुका में वलवा गांव की रहने वाली धर्मिष्टा बेन परमार ने अपने पैरों पर खड़ा होकर नारी सशक्तिकरण का एक बहुत बड़ा उदाहरण समाज के सामने रखा है. चौथी कक्षा तक पढ़ी-लिखी धर्मिष्टा परमार की कुछ समय पहले आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय थी की दो जून की रोटी भी बड़ी मुश्किल से नसीब हो पाती थी, पर कहते हैं की इंसान अपने लक्ष्य पर अडिग हो तो उसके लिए हिमालय भी अड़चन  नहीं बन सकता. इसी पंक्ति को धर्मिष्टा ने सच कर दिखाया है.

वडोदर जिले की इस महिला ने पूरे जिले में बड़ा नाम किया है. आज महीने के एक लाख रुपए कमा लेती है. साथ ही कई महिलाओं के लिए हौसले का काम करती है. पूरे भारत में फाइनेंस कंपनियों की भरमार है, जहां से आप आसान किश्तों में मोबाइल फोन से लेकर जीवन की हर जरूरी सामान EMI पर ले सकते हैं. कुछ लोग ऐसे होते हैं जो सच्चे अर्थ में इस तरह की सुविधाओं का सह तरीके से उपयोग करते हैं. ऐसा ही एक उदाहरण धर्मिष्टा परमार ने दिया है, जो की वडोदर जिले के साथ पूरे गुजरात के लिए गर्व करने जैसा है.

धर्मिष्टा परमार ने अपने बलबूते पर अथक मेहनत और परिश्रम कर शून्य से सफलता तक का सफर किया है. अपने परिवार को सिर्फ आर्थिक तंगी से ही नहीं उबारा परन्तु आज अपना एक ऊंचा मुकाम बना लिया है. धर्मिष्टा परमार की सूझबूझ की बात की जाये तो पहले उन्होंने एक फाइनेंस कंपनी से महिला लोन लिया. उसके बाद उनको लगा की लोन में मिले पैसे इधर-उधर खर्ज करने के बजाय इन पैसों से पशुपालन का व्यवसाय क्यों नहीं  किया जाये और अपने परिवार को आर्थिक परेशानियों से उबारा जाये.

उसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए धर्मिष्टा परमार ने एक गाय खरीदी. और पशुपालन का काम शुरू किया. अब इस काम में उन्होंने कठोर परिश्रम और मेहनत शुरू की उनकी सूझबूझ पर कठोर परिश्रम रंग लाया साथ ही, उन्हें फाइनेंस कंपनी का सहयोग मिला. इस सहयोग और मेहनत के बलबूते आज धर्मिष्टा परमार के पास आठ गाये हैं. इन आठ गायों का दूध बेचकर महीने के एक लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर रही हैं.

इतना ही नहीं आज धर्मिष्टा परमार के पति सहित पूरा परिवार उनकी तारीफ करने से नहीं रुकता है. साथ ही उनका आभार व्यक्त करते हैं की उनकी मेहनत और हौसले की वजह से परिवार आर्थिक रूप से आज इतना सक्षम हो गया, जिस परिवार की माली हालत दयनीय थी और अपने परिवार या समाज के कुछ भी व्यवहार करने से पहले भी दस बार सोचना पड़ता था, लेकिन आज धर्मिष्टा की मेहनत की वजह से यह परिवार काफी आगे बढ़ गया है. साल भर में 13 से 14 लाख रुपए की इस परिवार को इनकम होने लगी है. दूसरी तरफ धर्मिष्टा बेन उनकी गायों का भी काफी खयाल रखती है. जिसको लेकर गुजरात सरकार द्वारा उन्हें आत्मा प्रोजेक्ट के तहत बेस्ट पशुपालक के रूप में 10 हजार का अवार्ड भी दिया जा चुका है.

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