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मैं ‘बुरे चीफ जस्टिस’ की तुलना में ‘अच्‍छे जज’ के रूप में पहचाना जाऊंगा : जस्टिस चेलमेश्‍वर

पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले जजों में शामिल जस्‍टिस जे चेलमेश्‍वर ने शुक्रवार को एक बार फिर इस मुद्दे पर टिप्‍पणी की. उन्‍होंने कहा ‘मुझे खुशी है कि मैं एक बुरे चीफ जस्टिस की तुलना में एक अच्‍छे जज के तौर पर जाना जाऊंगा.’ उन्‍होंने शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी से जुड़े संगठन ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस (एआईपीसी) की ओर से आयोजित एक परिचर्चा सत्र में यह टिप्‍पणी की.

जनवरी में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले चार जजों में जस्टिस जे चेलमेश्‍वर भी शामिल थे. ऐसा भी कहा जाता है कि उस समय प्रेस कांफ्रेंस करने का निर्णय भी जस्टिस चेलमेश्‍वर का ही था. हालांकि शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इस मुद्दे पर कहा कि वह अभी इस मामले पर एक साल और कुछ नहीं बोल सकते.


जस्टिस जे चेलमेश्‍वर ने शुक्रवार को देश की न्‍याय व्‍यवस्‍था में देरी और कोर्ट में लंबित मामलों के मुद्दे पर भी टिप्‍पणी की. उन्‍होंने कहा कि देश में नई अदालतों की स्‍थापना प्रत्येक राजनीतिक पार्टी के लिए बेहद कम प्राथ‍मिकता का विषय है. उन्‍होंने कहा ‘आपने सुना होगा कि हर नेता फ्री में लैपटॉप, टीवी, भैंस समेत अन्‍य सामान जनता को चुनाव से पहले देने का वादा करता है. लेकिन कोई भी नई अदालत स्‍थापित करने का वादा नहीं करता है.’

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्ती चेलमेश्वर ने शुक्रवार को यहां कहा कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित होने के बावजूद सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बना सकती है. उन्होंने कहा कि विधायी प्रक्रिया द्वारा अदालती फैसलों में अवरोध पैदा करने के उदाहरण पहले भी रहे हैं. न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक कानून बनाने की मांग संघ परिवार में बढ़ती जा रही है.

बता दें कि इस साल की शुरुआत में न्यायमूर्ति चेलमेश्वर उच्चतम न्यायालय के उन चार वरिष्ठ न्यायाधीशों में शामिल थे जिन्होंने संवाददाता सम्मेलन कर तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कामकाज के तौर-तरीके पर सवाल उठाए थे. शुक्रवार को परिचर्चा सत्र में जब चेलमेश्वर से पूछा गया कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित रहने के दौरान क्या संसद राम मंदिर के लिए कानून पारित कर सकती है, इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक पहलू है कि कानूनी तौर पर यह हो सकता है (या नहीं). दूसरा यह है कि यह होगा (या नहीं). मुझे कुछ ऐसे मामले पता हैं जो पहले हो चुके हैं, जिनमें विधायी प्रक्रिया ने उच्चतम न्यायालय के निर्णयों में अवरोध पैदा किया था.’’ 

चेलमेश्वर ने कावेरी जल विवाद पर उच्चतम न्यायालय का आदेश पलटने के लिए कर्नाटक विधानसभा द्वारा एक कानून पारित करने का उदाहरण दिया. उन्होंने राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा के बीच अंतर-राज्यीय जल विवाद से जुड़ी ऐसी ही एक घटना का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘‘देश को इन चीजों को लेकर बहुत पहले ही खुला रुख अपनाना चाहिए था….यह (राम मंदिर पर कानून) संभव है, क्योंकि हमने इसे उस वक्त नहीं रोका.’’

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