उत्तराखंड

सरकारी अस्पतालों में नए साल से महंगा होगा इलाज, ऐसे होगी जेब ढीली

 प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में नए साल से उपचार महंगा हो जाएगा। मरीजों को जांच से लेकर अन्य सभी सुविधाओं के लिए 10 फीसद अधिक पैसा देना होगा। अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, सीटी स्कैन और पैथोलॉजी जांच, हरेक चीज के दाम नए साल में बढ़ जाएंगे। 

सरकारी अस्पतालों में शुल्क को लेकर वर्ष 2010 में शासनादेश जारी किया गया था। इसमें एक जनवरी से हर साल अस्पताल के शुल्क में 10 फीसद की बढ़ोतरी के निर्देश दिए गए थे। यह शासनादेश अभी प्रभावी है। इस कारण हर साल सरकारी अस्पतालों में उपचार 10 फीसद महंगा होता जा रहा है। ऐसे में गरीब मरीजों की मुश्किल भी बढ़ रही है। 

एक जनवरी से सरकारी अस्पताल का पर्चा जो 21 रुपये का बनता था, वह 23 रुपये का हो जाएगा। इसी तरह से सीटी स्कैन 1529 रुपये के स्थान पर 1579, अल्ट्रासाउंड 428 से 468, एक्स-रे 161 से 177 रुपये और ईसीजी 215 से 235 रुपये का हो जाएगा। इसी तरह से पैथोलॉजी की लिपिड प्रोफाइल 319 से बढ़कर 350, केएफटी 256 से 276 रुपये में होगा। यह सभी रेट एक जनवरी से लागू होंगे। 

स्वास्थ्य निदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने बताया कि इस संदर्भ में पूर्व का एक शासनादेश है। इसी के अनुपालन में एक जनवरी से अस्पतालों में सभी शुल्क पर 10 फीसद की वृद्धि होती है। 

यहां थायराइड जांच बाजार से महंगी 

कहने के लिए सरकारी अस्पताल पर जांच बाजार से भी महंगी। जी हां, हम बात कर रहे हैं दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की। जहां थायराइड जांच मरीजों की जेब पर अत्याधिक भारी पड़ रही है। उन्हें इसके लिए 535 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। यही जांच बाहर 300 रुपये में होती है। इसका भी कारण प्रत्येक वर्ष होने वाली 10 फीसद की बढ़ोतरी है। जिससे शुल्क बढ़ते-बढ़ते बाजार से भी ज्यादा हो गया है। 

यह अलग बात है कि मेडिकल कॉलेज बनने के बाद अब इस पर विराम लग गया है। उक्त शासनादेश मेडिकल कॉलेजों के लिए प्रभावी नहीं है। दून मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा के अनुसार यह मामला संज्ञान में है। शासन ने उक्त विषय में प्रस्ताव मांगा है। जिसमें इस जांच पर होने वाला खर्च आदि विवरण मांगा है। निकट भविष्य में जांच बाजार मूल्य से कम पर होगी। 

कैंसर की मुफ्त मिलेंगी दवाएं 

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कैंसर की 11 प्रकार की दवाएं अब मुफ्त मिलेंगी। किसी सरकारी अस्पताल में मरीजों को पहली बार यह सुविधा मिलने जा रही है। इसका टेंडर फाइनल हो गया है। अगले एक सप्ताह में खरीद भी शुरू कर दी जाएगी। 

दरअसल, कैंसर की दवाएं बहुत महंगी हैं। ऐसे में मरीजों को बाहर से दवा लेनी पड़ती है। पर अब दवाएं उन्हें अस्पताल में ही मिल सकेंगी। बता दें, अस्पताल में कुछ वक्त पहले ही कैंसर का उपचार शुरू किया गया है। कैंसर पीड़ित मरीजों की यहां न सिर्फ सर्जरी की जा रही है, बल्कि उन्हें कीमोथेरेपी भी दी जा रही है। बस रेडियोथेरेपी की व्यवस्था नहीं है, जिसके लिए प्रयास किया जा रहा है। 

दून अस्पताल पर मंडराया दवा आपूर्ति का संकट 

प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में दवा की आपूर्ति लड़खड़ा सकती है। अभी तक 103 दवाएं केंद्र सरकार की दवा क्रय नीति के तहत सार्वजनिक उपक्रम से खरीदी जाती हैं। पर यह नीति दस दिसंबर तक ही प्रभावी थी। ऐसे में आने वाले दिनों में दवा की आपूर्ति बाधित हो सकती है। 

दरअसल, 103 दवाएं ऐसी हैं, जिनकी खरीद टेंडर के बिना भी की जा सकती है। केंद्र सरकार की चिह्नित पाच दवा निर्माता पीएसयू से इन्हें कभी भी खरीदा जा सकता है। इनकी खरीद की दरें तय हैं। नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी यह दर तय करती है। 

केंद्र की यह नीति सभी राज्यों में लागू थी। अब इसकी अवधि खत्म हो गई है। दस दिसंबर 2013 को इसे लेकर जारी शासनादेश में स्पष्ट उल्लेख था कि नीति पाच वर्ष तक ही प्रभावी रहेगी। ऐसे में अब यह निष्प्रभावी है। इस कारण खरीद में दिक्कत आ रही है। 

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि इस विषय में शासन से दिशा-निर्देश मांगे गए थे। जिस पर ईएचएस रेट पर दवा क्रय करने की स्वीकृति मिल गई है। हालांकि इसका आदेश अभी नहीं हुआ है। अस्पताल में अभी करीब एक माह का स्टॉक है। इस बीच ऑर्डर कर दिए जाएंगे। संभवत: केंद्र की दवा क्रय नीति को भी विस्तारित कर दिया जाएगा।

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