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2 साल से अधिक समय तक जेल में रहने पर चुनाव नहीं लड़ सकते

बांग्लादेश की एक अदालत ने गुरुवार अपने फैसले में कहा कि जो लोग अपनी लंबित याचिकाओं के साथ दो वर्षो से अधिक समय से जेल में बंद हैं, वे 30 दिसंबर को होने वाला आम चुनाव नहीं लड़ सकते. बीडीन्यूज24 की रिपोर्ट के अनुसार, यह आदेश विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के पांच नेताओं अमानुल्लाह अमान, ए.जेड.एम. जाहिद हुसैन, वदूद भुईयां, मोहम्मद मोशीउर रहमान और मोहम्मद अब्दुल वहाब की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका के संबंध में दिया गया है. अदालत ने कहा कि संविधान के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को जेल में दो वर्षो से ज्यादा समय तक रहने की सजा दी जाती है तो जबतक अपीलीय डिवीजन सजा को खारिज या निलंबित नहीं करता, वह चुनावों में भाग नहीं ले सकता/सकती है.

इस आदेश के बाद बीएनपी की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया आगामी चुनाव नहीं लड़ सकेंगी, क्योंकि उन्हें भ्रष्टाचार के दो मामलों में 17 वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई है. 

बांग्लादेश: खालिदा जिया को लगा तगड़ा झटका, कोर्ट ने चुनाव लड़ने से रोका

बांग्लादेश की एक अदालत ने जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को अगले महीने होने वाले आम चुनावों में भाग लेने से रोक दिया है. अदालत ने कहा कि दो साल से ज्यादा कैद की सजा पाये व्यक्ति चुनाव में शामिल नहीं हो सकते. अटॉर्नी जनरल महबूबे आलम ने कहा कि घूस के दो मामलों में दोषी ठहराई गईं बीएनपी अध्यक्ष जिया 30 दिसंबर को होने वाले 11वें आम चुनावों में हिस्सा नहीं ले सकतीं. पूर्व प्रधानमंत्री फिलहाल अपने दिवंगत पति जियाउर रहमान के नाम पर शुरू किये गए धर्मार्थ कार्यों से जूड़े घूस के दो मामलों में जेल की सजा काट रही हैं. हाईकोर्ट द्वारा यह कहे जाने के बाद कि दो साल से ज्यादा की कैद की सजा पाए व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकते भले ही सजा के खिलाफ उनकी याचिका अदालतों में लंबित हो. 

इसके बाद एक संवाददाता सम्मेलन में आलम ने कहा, ‘‘वह आगामी चुनाव में हिस्सा लेने के लिये अयोग्य हैं. ’’ वह आठ फरवरी से ही हिरासत में हैं जब ढाका की विशेष अदालत ने जिया अनाथालय ट्रस्ट घूस मामले में उन्हें दोषी ठहराते हुए पांच साल कैद की सजा सुनाई थी.  30 अक्टूबर को उच्च न्यायालय ने उनकी जेल की सजा को दोगुना करते हुए उसे 10 वर्ष कर दिया. एक सुनवाई अदालत ने 29 अक्टूबर को जिया धर्मार्थ ट्रस्ट घूस मामले में उन्हें दोषी ठहराते हुए सात साल की कैद और 10 लाख बांग्लादेशी टका के जुर्माने की सजा सुनाई थी

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