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चांद का हुआ दीदार,लॉकडाउन में आज मन रही ईद। …

देश भर में आज ईद का त्योहार मनाया जा रहा है. रमजान खत्म होते ही जो ईद मनाई जाती है, उसे ईद-उल-फितर कहा जाता है. ईद के दिन खास रौनक होती है. इस दिन मस्जिदों को सजाया जाता है, लोग नए कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे से गले लगकर ईद की मुबारकबाद देते हैं. हालांकि इस बार लॉकडाउन के चलते ये रौनक थोड़ी फीकी पड़ गई है. कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से ना तो लोग गले मिल सकेंगे और ना ही मस्जिद जाकर नमाज अदा कर पाएंगे. इस बार की ईद ज्यादातर लोग अपने घरों में ही मना रहे हैं. आइए जानते हैं कि आखिर ईद क्यों मनाई जाती है और इसकी शुरुआत कैसे हुई.

पहला ईद उल-फितर पैगम्बर मुहम्मद ने जंग-ए-बदर के बाद मनाया था. ईद उल-फ़ितर शव्वल इस्लामी कैलंडर के दसवें महीने के पहले दिन मनाया जाता है. इस्लामी कैलंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नए चांद के दिखने पर शुरू होता है इस ईद में मुसलमान 30 दिनों के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं. रोज़े खत्म की खुशी के अलावा, इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी.

ईद प्‍यार और सद्भावना का त्‍योहार है. ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त, नए कपड़े भी पहने जाते हैं, और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है. ईद उल-फ़ितर के दौरान ही झगड़ों ख़ासकर घरेलू झगड़ों को निबटाया जाता है. ईद के दिन मस्जिद में सुबह की प्रार्थना से पहले, हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान करे.

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