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गोरखपुर में भारी बारिश के चलते रोहिन खतरे के निशान के पार

वैश्‍विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर के बाद लगातार हो रही बारिश ग्रामीणों के लिए मुसीबत बनकर आई है. नेपाल के पर्वतीय इलाके में हो रही बारिश की वजह से पहाड़ी नदियां उफान पर हैं.

उफनाई पहाड़ी नदियों ने भारत के मैदानी इलाके की नदियों को भी रौद्र रूप लेने को मजबूर कर दिया है. उमड़ती-घुमड़ती नदियां डेंजर लाइन को पार कर गांव में तबाही मचाने को आतुर दिख रही है.

गोरखपुर में रोहिन खतरे के निशान के पार पहुंच गई है. तो वहीं बर्डघाट पर राप्‍ती और घाघरा भी डेंजर लाइन के करीब पहुंच गईं हैं. नदी के आसपास के गांव पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.

गोरखपुर के डोमिनगढ़, घुनघुनकोठा, उत्तरी कोलिया गांव के लोग दहशत में है. वजह भी साफ है. हर साल की तरह इस साल भी रोहिन और राप्‍ती का जलस्‍तर तेजी से बढ़ रहा है. नदियां तबाही मचाने को आतुर दिख रही हैं.

तीन से चार दिन के भीतर नदियों का जलस्‍तर ढाई से तीन फीट तक बढ़ गया है. नदियों के पानी का फैलाव भी तेजी से हो रहा है. तटीय इलाके के गांवों पर बाढ़ का खतरा अधिक मंडरा रहा है.

गोरखपुर के उत्तर दिशा में बहने वाली रोहिन नदी त्रिमुहानी घाट पर खतरे के निशान 82.44 मीटर से 1.03 मीटर ऊपर 83.470 मीटर पर बह रही है. यही वजह है कि कैम्पियरगंज के चन्‍दीपुर और एक अन्‍य गांव में आवागमन बाधित होने की वजह से नाव लगानी पड़ी है.

हालांकि अभी गोरखपुर के किसी गांव में बाढ़ का पानी नहीं घुसा है. लेकिन, खेतों में पानी घुस गया है. सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. शहर के दक्षिण में बहने वाली राप्‍ती नदी का जलस्‍तर भी तेजी से बढ़ रहा है.

राप्‍ती डेंजर लाइन को पार करने की कगार पर पहुंच गई है. राप्ती नदी बर्डघाट पर डेंजर लाइन 74.98 मीटर से महज 0.64 मीटर नीचे 74.340 मीटर पर बह रही है. दक्षिण में ही बहने वाली कुआनो नदी मुखलिसपुर में डेंजर लाइन 78.65 मीटर से 3.29 मीटर नीचे 75.360 मीटर पर बह रही है.

घाघरा नदी अयोध्‍या पुल पर डेंजर लाइन 92.73 मीटर से महज 0.2 मीटर नीचे 92.530 पर बह रही है. वहीं घाघरा तुर्तीपार में खतरा बिंदु 64.01 मीटर से महज 0.17 मीटर नीचे 63.840 पर बह रही है.

खतरे की बात ये है कि राप्ती और घाघरा डेंजर लाइन के करीब पहुंच चुकी हैं. रोहिन पहले से ही खतरे का निशान पार कर तबाही मचाने को आतुर है. खतरे की बात ये है कि सभी नदियां चढ़ान पर हैं. ऐसे में बाधों से रिसाव और उनके टूटने का खतरा बढ़ गया है. ऐसे में गांववालों की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं.

गोरखपुर के उत्तरी कोलिया गांव के रहने वाले किसान खूबलाल सब्‍जी की खेती करते हैं. वे बताते हैं कि तीन से चार दिन में चार से पांच फीट पानी नदी में बढ़ गया है. उनकी सब्जियां खेत में पानी लगने से सड़-गल गई है.

यहां पर उत्तरी कोलिया, मंझरिया, घुनघुनकोठा, उत्‍तरासोर, टिकरिया गांव हर साल बाढ़ के पानी से प्रभावित होते हैं. डोमिनगढ़ के राकेश साहनी बताते हैं कि राप्ती नदी में सात से आठ फीट पानी बढ़ गया है.

इसी तरह पानी बढ़ा तो उन लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. तीन से चार दिन इसी तरह पानी बढ़ा तो आसपास के गांव भी प्रभ‍ावित हो जाएंगे.

गोरखपुर के जिला आपदा विशेषज्ञ गौतम गुप्‍ता बताते हैं कि गोरखपुर में तीन मेजर नदियां हैं. सरयू जिसे घाघरा कहते हैं, और राप्‍ती में बढ़त दर्ज की जा रही है. जिस हिसाब से ऊपर से पानी आ रहा है उससे ये लगता है कि अभी पानी बढ़ेगा.

एक गुड साइन ये है कि रोहिन का जल स्‍तर थोड़ा नीचे आया है. जो अन्‍य सहायक नदियों का वाटर टेबल देखकर लगता है कि नदियों का जलस्‍तर बढ़ेगा. 86 बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया गया है.

स्‍वास्‍थ्‍य, सिंचाई, राजस्‍व और पुलिस विभाग के कर्मचारियों को लगाया गया है. उनके मोबाइल नंबर फ्लैश किए गए हैं. कैम्पियरगंज के दो गांव में आवागमन बाधित होने पर नाव लगाई गई है.

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