कानपुर: खड़ी धनिया में धुएं की धोखाधड़ी !
खाद्य पदार्थो में मिलावटखोरी का खेल बदस्तूर जारी है। सरकारी अलंबरदार विक्रेताओं पर कार्रवाई के बजाय आंख-कान बंद किए बैठे हैं वरना क्या मजाल कि मिलावटी सामान बिके और उपभोक्ताओं को दिक्कत हो। बाजार में आ रहे विदेशी धनिया के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। पानी छिड़ककर गंधक के धुएं से इसे चमकाया जा रहा है। मात्र चार-पांच रुपये का लाभ कमाने के लिए इस धनिया की जमकर बिक्री की जा रही है। जबकि गंधक का धुआं स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल रहा है।
इस धनिया को मुट्ठी में भरने पर खुशबू नहीं बदबू का अहसास होता है लेकिन सस्ते के चक्कर में पिछले पांच वर्ष में ही इस धनिया ने शहर के आधे बाजार पर कब्जा कर लिया है। देसी धनिया का बाजार 25 फीसद ही बचा है। शेष 25 फीसद पर राजस्थान और मध्य प्रदेश का कब्जा है। धनिया के कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि विदेशी धनिया के आने से पहले कभी धनिया में गंधक का धुआं नहीं दिया गया। यह ग्राहकों के साथ धोखा है।
इन देशों से आता धनिया
बुल्गारिया नाम से कारोबारियों के बीच चर्चित यह धनिया बुल्गारिया के अलावा रूस, यूक्रेन, इटली से आता है।
विदेशी धनिया की दो क्वालिटी
विदेशी धनिया की भी दो क्वालिटी होती है। अच्छी धनिया इस समय बाजार में 56 से 58 रुपये किलो है। जबकि दूसरी क्वालिटी भूरे और काले रंग के धनिया की होती है। इसे सीधे बाजार में बेचना मुश्किल होता है, यह 53 से 54 रुपये किलो की है। दूसरी ओर देसी धनिया 61 से 64 रुपये किलो के बीच है।
गंधक बना देता सुनहरा चमकीला
काले व भूरे धनिया पर पानी में पीला रंग मिलाकर छिड़का जाता है। इसके बाद पूरी तरह बंद कमरे में गंधक जलाकर उसमें धनिया बंद कर दिया जाता है। जब धुआं खत्म होता है तो धनिया सुनहरा और चमकीला हो जाता है। इसके बाद इसे आसानी से बेच दिया जाता है। सस्ते के चक्कर में इसे बाजार में आसानी से खरीद लिया जाता है।
पाउडर बनाकर बिक जाता
इस धनिया में देसी धनिया को मिलाकर पीस दिया जाता है। देशी धनिया की खुशबू विदेशी धनिया की बदबू को खत्म कर देती है।
बाहरी क्षेत्रों में होता यह कार्य
शहर के बाहरी क्षेत्र खासतौर पर यशोदा नगर और उन्नाव के शुक्लागंज के साथ ही आधा दर्जन से ज्यादा स्थानों पर यह कार्य होता है।
दो रुपये किलो में काम
इस कार्य से जुड़े लोग कारोबारी के प्रतिष्ठान से धनिया ले जाते हैं। वापस भी ये लोग ही लाते हैं। इसके बदले हर किलो के हिसाब से इन्हें दो रुपये मिलते हैं। धनिया पानी डालने से भारी हो जाता है। यह हिस्सा भी इन्हें बच जाता है।
यहां जाती है धनिया
विदेशी धनिया कानपुर से उन्नाव, फतेहपुर, औरैया, इटावा, हमीरपुर, कन्नौज, कानपुर देहात, महोबा, उरई, झांसी आदि जिलों में बड़े पैमाने पर जाती है।
‘धनिया में इस तरह गंधक का धुआं देना ठीक नहीं है। इस मामले की जांच कर ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’
– संजय सिंह, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी, कानपुर नगर।
गंधक यानी सल्फर का धुआं हानिकारक है। पेट में जाने से जलन, दस्त एवं इंफेक्शन हो सकता है। इसके धुंए से सांस लेने में दिक्कत, फेफड़ों में असर एवं गला चोक हो सकता है। इसके धुएं से आंखों में जलन हो सकती है।’
– डॉ. विशाल गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।