लखनऊ स्टेशन केवल एक नंबर प्लेटफार्म ही साफ…
स्वच्छता की रैंकिंग में देश के 75 ए-1 श्रेणी के स्टेशनों में छठे नंबर पर शुमार किए गए चारबाग स्टेशन के बारे में आम यात्रियों की राय बिल्कुल अलग है। यात्रियों के मुताबिक सफाई तो केवल चारबाग स्टेशन के प्लेटफार्म एक पर ही दिखती है। जबकि प्लेटफार्म नंबर दो से नौ तक कोई अफसर ध्यान ही नहीं देता है।
दरअसल चारबाग स्टेशन की सफाई को लेकर बहस इसलिए छिड़ गई है क्योंकि एक तरफ जहां क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया ने चारबाग स्टेशन को देश का छठा सबसे स्वच्छ स्टेशन करार दिया है। वहीं यात्रियों के आइवीआरएस पर मिले फीडबैक के आधार पर चारबाग स्टेशन को देश के 10 गंदे स्टेशनों में नौवें नंबर पर रखा गया है।
चारबाग स्टेशन की सफाई का ठेका चार निजी कंपनियों को सौंपा गया है। जिसके 169 कर्मचारी यहां तैनात हैं। सालाना छह करोड़ रुपये चारबाग स्टेशन की सफाई पर ही रेलवे खर्च कर रहा है। फिर भी इस स्टेशन की रेटिंग दो सर्वे में लगातार पिछड़ी है। वर्ष 2016 में जब आइआरसीटीसी ने सर्वेक्षण किया था तब यह स्टेशन सफाई के मामले में देश में 43वें स्थान पर था। जबकि वर्ष 2017 में गंदगी और बढ़ गई। जिससे स्टेशन की रैंकिंग 57वें स्थान पर जा पहुंची। जबकि दूसरी तरफ लखनऊ जंक्शन टॉप 10 स्वच्छ स्टेशनों में पिछले साल शामिल हो गया था। हालांकि चारबाग स्टेशन की गंदगी के पीछे यहां की बदहाली का भी बड़ा हाथ है। प्लेटफार्म बुरी तरह टूटे हुए हैं। जबकि नालियां इतनी जर्जर हैं कि गंदगी बाहर नहीं जा पाती है।
यात्री बोले बहुत पिछड़ा है स्टेशन
-उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की राजधानी का यह स्टेशन बहुत बदहाल है। गंदगी के कारण प्लेटफार्म सात पर सांस लेना मुश्किल होता है।
नितिन कुमार विश्नोई -गंदगी स्टेशन के बाहर से ही शुरू हो जाती है। द्वितीय श्रेणी टिकट घर की बात करें तो यहां पर भी बहुत गंदगी रहती है।
बबलू कुमार -रेलवे को पहले तो यहां केले की बिक्री रोकनी चाहिए। क्योंकि गंदगी में इसका बड़ा रोल है। बोगियों के शौचालय से गिरने वाली गंदगी भी अक्सर जमा रहती है।
श्याम लाल -पहले से स्टेशन की सफाई में कुछ सुधार आया है। हालांकि आज यह पता चला कि सीआरबी लखनऊ आए हैं। शायद यह सब कुछ उनके आगमन पर ही हो रहा है। यदि रोजाना ऐसी सफाई की जाए तो बेहतर होता।