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सोमवार के दिन भगवान शिव की अराधना करने से होती है मनोवांछित फल की प्राप्ति

हिंदू धर्म में भगवान शिव को सभी देवी देवताओं में सबसे बड़ा माना जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान शिव ही दुनिया को चलाते हैं. वह जितने भोले हैं उतने ही गुस्‍से वाले भी हैं. शास्‍त्रों के मुताबिक सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है.

शिव जी को प्रसन्‍न करने के लिए लोग व्रत करते हैं. सोमवार के दिन ही शिव की पूजा का विशेष महत्व है. कहते हैं सोमवार के दिन भगवान शिव की अराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

शिव जी के व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए. अगर संभव हो तो मंदिर जाकर भगवान शिव की शिवलिंग पर जल या दूध अर्पित करना चाहिए.

इसके बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. कहते हैं सुबह और शाम भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना जरूर करनी चाहिए. साथ ही व्रत कथा भी जरूर करें. बिना व्रत कथा के व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है. आइए आपको बताते हैं भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का दिन ही खास क्यों हैं.

सोमवार के दिन शिव जी की पूजा के साथ-साथ व्रत भी रखा जाता है. इस दिन रखे जाने वाले व्रत को सोमेश्वर व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इसका अर्थ होता है सोम के ईश्वर यानी चंद्रमा के ईश्वर जो कि भगवान शिव को कहा जाता है.

पौराणिक कथा के अनुसार चंद्र देव ने इसी दिन भगवान शिव की अराधना करके उन्हें प्रसन्न किया था और अपने क्षय रोग से मुक्ति पाई थी. तब से सोमवार के दिन को ही भगवान शिव की पूजा के लिए उत्तम माना जाने लगा है. इतना ही नहीं, सोम का मतलब होता है सरल और सहज. भगवान शिव को बहुत ही शांत देवता माना गया है.

इसी कारण से भगवान शिव सोमवार दिन के अधिपत्य देवता कहलाते हैं. वहीं, एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में स्वीकार करने के लिए कठिन तपस्या की थी.

साथ ही उन्हें पाने के लिए 16 सोमवार के व्रत भी रखे थे. इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को वरदान मांगने को कहा था, जिसमें उन्होंने शिव जी को पति के रूप में मांगा था और भगवान शिव उन्हें मना नहीं कर पाए थे. तब से ही सोमवार के व्रत की मान्यता है.

सोमवार के व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद मंदिर में भगवान शिव को जल या दूध चढ़ाएं. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा और आरती करें. इस दिन तीसरे पहर तक व्रत होता है.

वैसे तो सोमवार के व्रत में फलाहार या पारण का कोई खास नियम नहीं है. पूरे दिन में तीसरे पहर के बाद ही भोजन किया जाता है. सोमवार के व्रत तीन प्रकार के होते हैं- हर सोमवार,

सोम्य प्रदोष और 16 सोमवार. तीनों व्रत की विधि एक जैसी ही होती है. शिव पूजन के बाद कथा सुनना जरूरी होता है. शाम के समय भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है और आरती की जाती है

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