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दिल्‍ली पुलिस ने भारत बंद को लेकर अपने 15 जिलों की पुलिस को किया अलर्ट गुरुग्राम-दिल्‍ली बॉर्डर पर भीषण जाम

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा केंद्र सरकार के नये तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आज बुलाया गया ‘भारत बंद’ जारी है. इस वजह से नोएडा के डीएनडी और गुरुग्राम-दिल्‍ली बॉर्डर पर भीषण जाम लग गया है.

वहीं, जाम के कारण लोग बेहाल हैं. इस दौरान कई किलोमीटर तक वाहनों की कतार दिख रही हैं. इसके अलावा किसानों ने उत्‍तर प्रदेश को दिल्‍ली से जोड़ने वाले यूपी-गाजीपुर बॉर्डर पर नेशनल हाईवे-9 और नेशनल हाईवे-24 पर कब्‍जा कर लिया है.

किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहे 40 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा की अपील के बाद इसमें काफी संख्‍या में लोग शामिल हो रहे हैं. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत कई दलों ने भारत बंद का समर्थन किया है.

किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा किए जा रहे भारत बंद के चलते नोएडा और दिल्‍ली को जोड़ने वाले डीएनडी पर भीषण जाम लगने की वजह से वाहनों की कई किलोमीटर लंबी लाइन लग गयी है.

वहीं, दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर भी लोगों को ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ रहा है. यहां भी हालात बेहद खराब हैं. इसके अलावा अक्षरधाम, नोएडा लिंक रोड, गाजीपुर रोड, जीटी रोड, वजीराबाद रोड,

एनएच-1 और दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेस वे पर ट्रैफिक भी ट्रैफिक काफी धीमे चल रहा है. जबकि भारत बंद को लेकर डीएमआरसी ने सीआईएसएफ, मेट्रो पुलिस और डीएमआरसी के स्टाफ को हाई अलर्ट पर रखा है.

जबकि दिल्‍ली पुलिस ने भारत बंद को लेकर अपने 15 जिलों की पुलिस को अलर्ट पर रखा है. इसके अलावा दिल्‍ली के बॉर्डर, नई दिल्‍ली के इलाकों और लालकिले के आसपास भारी पुलिस फोर्स और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात की गयी है. इस दौरान दिल्‍ली ट्रैफिक पुलिस ने कई रास्‍ते भी बंद कर दिए हैं.

कांग्रेस, आरजेडी, आम आदमी पार्टी, सपा, बीएसपी और लेफ्ट समेत तमाम बड़े दलों ने किसानों के ‘भारत बंद’ का समर्थन किया है. जबकि यह बंद शाम चार बजे तक जारी रहेगा. भारत बंद को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने राजनीतिक दलों से भी कहा था कि वे लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांतों को बचाए रखने की उनकी लड़ाई में हिस्सा लें.

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों को डर है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर दिया जाएगा

तथा उन्हें बड़े कार्पोरेट की दया पर छोड़ दिया जाएगा. हालांकि सरकार तीन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है. दोनों पक्षों के बीच 10 दौर से अधिक की बातचीत गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है.

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