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किसानों को पराली जलाने से नहीं रोक सकते, MSP बढ़ाए केंद्र: अमरिंदर सिंह

पंजाब में धान की फसलों की कटाई के बाद गेहूं की बुआई के लिए किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है. ऐसे में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का ने कहा है कि वो किसानों को पराली जलाने से नहीं रोक सकते.

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि किसानों को पराली जलाने से नहीं रोक सकते और उन्होंने केंद्र को खत लिखकर फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने की मांग की है.

पंजाब के प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने सितंबर से अक्टूबर के बीच अभी तक पराली जलाने के 40 मामले दर्ज किए हैं. इनमें 34 मामले अमृतसर जिले में, चार पटियाला के राजपुरा में, होशियारपुर में और एक संगरूर में दर्ज किए गए हैं. सरकार को अंदेशा है कि अक्टूबर में जब धान की कटाई जोरों पर होगी तो राज्य में पराली जलाने के ज्यादा मामले सामने आ सकते हैं.

बता दें कि पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाने का सीधा असर दिल्ली-एनसीआर के पर्यावरण पर पड़ता है. दूसरी तरफ किसानों के पास पराली जलाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है. क्योंकि धान की कटाई के बाद आलू और गेहूं की बुआई के लिए किसानों के पास 10-15 दिन का समय होता है.

सरकार भी उनकी मदद के दावे जरूर करती है, लेकिन हकीकत में उनके पास न तो कोई मशीनरी है और न ही पराली ठिकाने लगाने के लिए कोई आर्थिक मदद. किसान भी चाहते हैं कि सरकार अगर मशीनरी नहीं दे पा रही, तो उनको कम से कम पराली ठिकाने लगाने के लिए मजदूरी ही दे.

गौरतलब है कि पंजाब सरकार की ओर से केंद्र सरकार को दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 2016 और 2017 के दौरान पराली जलाने के मामलों में कमी आई है. 2016 में पराली जलाने के 80,879 मामले सामने आए थे, वे 2017 में घटकर 43,817 रह गए.

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