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‘मोती सिंह‘ द्वारा उत्तर प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण, गन्ना किसान संस्थान, डालीबाग में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा विगत साढ़े चार वर्षों में किये गये

महात्मा गाँधी नरेगा योजना

  1. महात्मा गाँधी नरेगा योजना का आरंभ वर्ष 2006 से किया गया है द्य योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रो में निवास कर रहे परिवारों के इच्छुक वयस्क सदस्यों को उनकी मांग के अनुसार एक वित्तीय वर्ष में 100 दिवसों का रोजगार उपलब्ध कराना है द्य
  2. योजनान्तर्गत गत4 वर्षो की प्रगति
    मानव दिवस सृजन . 103ण्27 करोड़
    परिवारों को रोजगार . 246ण्55 लाख
    श्रमिकों को रोजगार . 302ण्99 लाख
    व्यक्तिगत लाभार्थिपरक कार्य . 503619
    भूमि विकास सम्बन्धी कार्य . 452465
    जल संचयन एवं संरक्षण . 528303
  3. कोरोना पर प्रहार दृ
    वित्तीय वर्ष 2020.21 मे देश मे सर्वाधिक 12626ण्46 लाख व्यय करते हुए उत्तर प्रदेश ने देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
    वित्तीय वर्ष 2020.21 मे देश मे सर्वाधिक 94ण्37 लाख परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराते हुए उत्तर प्रदेश ने देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
    वित्तीय वर्ष 2020.21 में 39ण्46 लाख मानव दिवस सृजित किये गये हैए जो योजनारम्भ से सर्वाधिक है ।
    वित्तीय वर्ष 2020.21 में 779085 परिवारों को 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध करा दिया गया है जो योजनारम्भ से सर्वाधिक है ।
    वित्तीय वर्ष 2020.21 मे दिनाँक 26.06.2020 को एक दिन मे 62ण्25 लाख श्रमिकों को नियोजित किया गयाए जो इतिहास मे एक दिवस मे नियोजित सर्वाधिक श्रमिकों की संख्या है ।
    उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन
    वर्तमान में मिशन के अंतर्गत 58 लाख से अधिक ग्रामीण क्षेत्र के परिवार की महिलाओ को कुल 5ए52ए673 स्वयं सहायता समूहोंए 25205 ग्राम संगठनो एवं 1387 संकुल स्तरीय संघो से आच्छादित किया गया हैद्य
    आजीविका सम्बंधित गतिबिधियो को प्रोत्साहित करने हेतु अभी तक कुल 358404 स्वयं सहायता समूहों को रिवॉल्विंग फण्डए 227166 स्वयं सहायता समूहों को सामुदायिक निवेश निधि द्वारा लाभान्वित किया गया हैद्य
    अभी तक मिशन के अंतर्गत 1ण्98 लाख स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को सतत आजीविका की दिशा में बिभिन्न बैंको से बैंक क्रेडिट लिंकेज के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराया जा चुका हैद्य
    ग्रामीण क्षेत्र में गाँव में ही वित्तीय लेन देन एवं बिभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करने एवं प्रोत्साहित करने के दिशा में अभी तक 35908 ठब् सखी को त्ैम्ज्प् के माध्यम से प्प्ठथ् द्वारा प्रशिक्षण एवं प्रमाणीकरण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है जिसमे से 16876 ठब् सखी द्वारा कार्य प्रारम्भ किया जा चूका हैद्य
    प्रदेश के 43 जनपदों के 204 विकासखण्डों में पुष्टाहार उत्पादन एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों को वितरण कराने हेतु उत्पादन इकाई की स्थापना का कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है। जिसमे अभी तक 02 पुष्टाहार उत्पादन इकाई की स्थापना की जा चुकी है द्य
    उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड के साथ अभिसरण के माध्यम से कुल 10743 महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्यों का चयन किया गया है जिसमे से 5160 सक्रिय सदस्यों द्वारा 63 करोड़ रूपए का बिल कलेक्शन समबन्धि कार्य किया गया हैद्य
    बिभिन्न जनपदों में अद्यतन स्तिथि के अनुसार 1803 उचित दर की दुकानों का आवंटन स्वयं सहायता समूहों को किया गया हैद्य
    पंचायती राज बिभाग से अभिसरण के माध्यम से कुल 826 विकास खंडो में 50772 ग्राम पंचायतो के सामुदायिक शौचालय का प्रबंधन समूह की महिलाओ द्वारा किया जा रहा है द्य
    श्बालिनी मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनीश् अंतर्गत बुंदेलखंड क्षेत्र के 5 जनपदों के 601 ग्रामो से 26000 शेयर होल्डर्स सम्मिलित है जिसमे प्रतिदिन 90 हज़ार किलो ग्राम दुग्ध का संग्रह एवं कुल रू0 120 करोड़ का भुगतान किया गया हैद्य पूर्वांचल क्षेत्र के 5 जनपदों गाजीपुरए सोनभद्रए बलियाए मिर्ज़ापुर एवं चंदौली में बलिनी की तर्ज पर काशी दुग्ध उत्पादक कंपनी का गठन की जा चुकी हैद्य
    मनरेगा अंतर्गत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के माध्यम से सी0आई0बी0 बोर्ड निर्माण अंतर्गत 1ए18ए390 सी0आई0बी0 बोर्ड बनाने का आर्डर दिया गया है।
    वर्ष 20.21 में 20396 स्वयं सहायता समूह की सदस्यों द्वारा 1ण्57 करोड़ से अधिक मास्क एवं 1223 सदस्यों द्वारा 65312 पी0पी0ई0 किट आदि का निर्माण किया गया हैद्य वर्तमान वित्तीय बर्ष 21.22 में अभी तक 35 लाख से अधिक मास्क का निर्माण किया जा चुका हैद्य
    प्रधानमंत्री आवास योजना-(ग्रामीण)
    प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण का उद्देश्य आवासहीन कच्चे व जीर्ण-शीर्ण मकानों में रह रहे गरीब परिवारों को पक्का आवास उपलब्ध कराना है। वर्ष 2022 तक सभी पात्र परिवारों को आवास उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित है।
    आवास की इकाई लागत सामान्य क्षेत्रों के लिए रू0 1 लाख 20 हजार तथा नक्सल प्रभावित जनपदों के लिए रू0 1 लाख 30 हजार निर्धारित है।
    निर्मित आवास का क्षेत्रफल 25 वर्गमीटर निर्धारित किया गया है। आवास में शौचालय हेतु धनराशि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) अन्तर्गत पंचायती राज विभाग द्वारा उपलब्ध करायी जाती है।
    आवास लाभार्थी को मनरेगा योजना से 90/95 मानव दिवस का रोजगार भी आवास निर्माण में दिये जाने का प्राविधान है।
    योजना के अन्तर्गत केन्द्र एवं राज्य द्वारा 60ः40 अनुपात में उपलब्ध करायी जाती है।
    एस0ई0सी0सी0 डाटा 2011 के आधार पर आवास आवंटन के लिए बनायी गयी स्थायी पात्रता सूची संतृप्त हो गयी है। वर्ष 2020-21 से आवास प्लस के आधार पर तैयार स्थायी पात्रता सूची से आवास का आवंटन किया जा रहा है।
    सेक सर्वेक्षण 2011 के आधार पर तैयार स्थायी पात्रता सूची से सभी पात्र 14.49 लाख लाभार्थियों को आवास आवंटित।
    वर्ष 2020-21 से आवास प्लस से आवास आवंटन।
    चिन्हित 49.54 लाख आवास प्लस के लाभार्थियों में से 27.98 लाख लाभार्थी पात्र पाये गये।
    अब तक आवास प्लस से 11.66 लाख आवास निर्माण का लक्ष्य प्रदेश को भारत सरकार द्वारा दिया गया।
    आवास प्लस से लक्ष्य प्राप्त करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य।
    वर्ष 2016-17 से अब तक 26.16 लाख आवास का निर्माण ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रदेश को दिया गया है, जिसके सापेक्ष 22.54 लाख आवास का निर्माण पूर्ण कराया जा चुका है, शेष आवास निर्माणाधीन है।
    प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण 01 अप्रैल, 2016 से लागू हुई। मार्च, 2017 तक केवल 1.39 लाख आवास स्वीकृत हुए थे किन्तु कोई आवास निर्मीत नहीं हुआ था। मार्च, 2017 से अब तक 22.54 लाख आवास का निर्माण पूर्ण कराया गया है।
    देश में योजनान्तर्गत आवास पूर्णता में उत्तर प्रदेश प्रतिशत की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है।
    गत वर्षो में उत्कृष्ट कार्य के लिए उत्तर प्रदेश को ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कई राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिये गये है।
    मुख्यमंत्री आवास योजना-(ग्रामीण)
    मुख्यमंत्री आवास योजना-ग्रामीण पूर्णतः राज्य सहायतित योजना है, जो फरवरी, 2018 से प्रारम्भ की गयी। उक्त योजना का उद्देश्य प्राकृतिक आपदा, कालाजार, वनटांगिया, मुसहर, नट, चेरों, सहरिया, कोल, थारू वर्ग, जे0ई0/ए0ई0एस0 से प्रभावित, कुष्ठ रोग से प्रभावित परिवार एवं प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण की पात्रता से आच्छादित परन्तु एस0ई0सी0सी0-2011 के आधार पर तैयार पात्रता सूची में न सम्मिलित होने वाले छतविहीन एवं आश्रय विहीन कच्चे/जर्जर आवासों में रह रहे परिवारों को आवास उपलब्ध कराया जा रहा है।
    आवास की इकाई लागत सामान्य क्षेत्रों के लिए रू0 1 लाख 20 हजार तथा नक्सल प्रभावित जनपदों के लिए रू0 1 लाख 30 हजार निर्धारित है।
    निर्मित आवास का क्षेत्रफल 25 वर्गमीटर निर्धारित किया गया है। आवास में शौचालय हेतु धनराशि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) अन्तर्गत पंचायती राज विभाग द्वारा उपलब्ध करायी जाती है।
    आवास लाभार्थी को मनरेगा योजना से 90/95 मानव दिवस का रोजगार भी आवास निर्माण में दिये जाने का प्राविधान है।
    मुख्यमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अन्तर्गत वर्ष 2018-19 से लेकर अब तक 1.08 लाख आवास निर्माण का लक्ष्य निर्धारित है, जिसके सापेक्ष अब तक 84,414 आवासों का निर्माण पूर्ण कराया जा चुका है, शेष आवास निर्माणाधीन है।
    अब तक आवंटित मुख्यमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के आवासों में मुसहर वर्ग के 42,194, वनटांगिया वर्ग के 4,822, कुष्ठ रोग से प्रभावित 3,686, दैवीय आपदा से प्रभावित 36,307, कालाजार से प्रभावित 224, जे0ई0/ए0ई0एस0 से प्रभावित 601, थारू वर्ग के 1,546, कोल वर्ग के 13,102, सहरिया वर्ग के 5,611, एवं चेरों जनजाति के 559 लाभार्थी सम्मिलित है।
    मुख्यमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अन्तर्गत समाज के सबसे निचले पायदान पर स्थिति जरूतमंद लोगों को आवासीय सुविधा का लाभ देते हुए समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य राज्य सरकार द्वारा किया गया है।
    प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
    प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का शुभारम्भ तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व0 अटल बिहारी बाजपेयी सरकार के कार्यकाल में 25 दिसम्बर, 2000 को किया गया।
    प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का मुख्य उद््देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में 500 या इससे अधिक आबादी वाले सड़क-सम्पर्क से वंचित मजरों को बारहमासी सड़कों से जोड़ना था, जिसे उत्तर प्रदेश में पूर्ण किया जा चुका है।
    प्रदेश के नक्सल समस्या से प्रभावित जनपदों सोनभद्र, चन्दौली एवं मिर्जापुर में मानक को शिथिल करते हुये 250 या उससे अधिक आबादी वर्ग की बसावटों को बारहमासी मार्गो से जोड़ा जा चुका है।
    प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना प्रथम एवं द्वितीय चरण के अन्तर्गत अब तक उत्तर प्रदेष में 57162.55 किमी0 सड़क का निर्माण हो चुका है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में निर्मित मार्गो का 05 वर्ष तक रख-रखाव (अनुरक्षण) उसी ठेकेदार की जिम्मेदारी होती है। अनुरक्षण का बजट राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
    मार्गो की गुणवत्ता की जांच हेतु त्रिस्तरीय व्यवस्था है, जिसके माध्यम से मार्गो की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है।
    मार्गो के उच्चीकरण से ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा बढ़ी है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के आने से उत्तर प्रदेश में किसानों, विद्यार्थियों, युवाओं के साथ ही समस्त ग्रामवासियों को सीधा लाभ मिल रहा है।
    सड़क संचार माध्यमों का सबसे सशक्त माध्यम होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण से तरक्की की राह लगातार प्रशस्त हो रही है। प्रदेश के किसान सब्जी, अनाज, दूध इत्यादि को आसानी से मण्डी तक पहुंचा रहे हैं, जिससे उनकी आय में बढ़ोत्तरी हो रही है।
    प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के निर्माण से गांव-गांव में एम्बुलेंस और अन्य चिकित्सीय सुविधाएं आसानी से पहुंच रही हैं। इसके साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट का भी आवागमन प्रारम्भ हो गया है, जिससे आमजन आसानी से अपने गन्तव्य तक पहुंच रहे हैं।
    प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत भारत सरकार से पीरियाडिक रिनीवल के लिए प्रोत्साहन के रूप धनराशि प्राप्त होती है। पीरियाडिक रिनीवल में 05 वर्ष पूर्ण कर लिये गये मार्गो को शामिल किया जाता है।
    वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत रू0 155.00 करोड़ की लागत से 692 मार्ग, लम्बाई 1923 किमी0 ग्रामीण मार्गो के रिनीवल कार्य का लोकार्पण मा0 मुख्यमंत्री उ0प्र0 द्वारा किया गया है।
    प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-3 के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 तक उत्तर प्रदेश के लिए 18937.05 किमी0 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रदेश में प्रथम बैच के अन्तर्गत रू0 4130.27 करोड़ की लागत से 886 मार्ग, लम्बाई 6208.45 किमी0 के ग्रामीण मार्गो का शुभारम्भ मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा किया गया है। इसके साथ ही वर्ष 2021-22 के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-3 केेे बैच-2 के अन्तर्गत रू0 5918.44 करोड़ की लागत से 1078 मार्ग, लम्बाई 8249.41 किमी0 के ग्रामीण मार्गो की स्वीकृति दिनांक 09 नवम्बर 2021 को प्रदान की गई जिसकी टेण्डर प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।

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