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जाने कब है संकष्टी चतुर्थी गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से होगी सभी मनोकामनाएं पूर्ण ?

हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर सकट चौथ का व्रत रखा जाता है. आपको बता दें कि इसे संकष्टी चतुर्थी, लंबोदर संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ, तिलकुट चतुर्थी, संकटा चौथ, माघी चौथ, तिल चौथ आदि नामों से भी जाना जाता है.

सकट चौथ के दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है. पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 21 जनवरी को सुबह 08:51 बजे से शुरु हो रही है.

इस दिन गणेश जी को खास तौर पर तिल से बनी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है. भगवान गणेश को विघ्नकर्ता कहा जाता है. कोई भी शुभ काम करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है.

मान्यता है कि गजानन की पूजा करने से सारे काम शुभ होते हैं. गणेश जी की पूजा और आरती से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. गणेश जी की आरती करने से नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाती है.

गणेश जी को बुद्धिदाता भी कहा जाता है. इसलिए गणेश जी की आरती करने से सद्बुद्धि भी आती है. जिस तरह गणेश जी की पूजा का विधान है, उसी तरह हर शुभ कार्य या कुछ नया शुरू करने से पहले गणेश जी की आरती भी की जाती है. सकट चौथ पर गणेश जी की आरती जरूर करें.

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डू के भोग लगे संत करें सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
अंधे को आंख देत कोढिन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।।
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।

गणेश जी के मंत्र
– ॐ गं गणपतये नम:
– वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
– ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

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