हुनर के रंगों से लगे खुशियों को पंख, इतिहास रचने को तैयार ये दिव्यांग
कला सिर्फ समर्पण मांगती है। जो लगन के साथ इसमें रमा, ये उसी की हो गई। शहर में कई ऐसे दिव्यांग हैं, जो हुनर के रंगों से एक हसीन इतिहास रचने को तैयार हैं। संघर्षो के इन कलाकारों के सपने इनकी प्रेरणा और हुनर इनका संसाधन है। चित्रकारी, स्केचिंग, टेक्सटाइल्स डिजाइनिंग से लेकर फोटोग्राफी जैसे शौक को मुकम्मल मंजिल तक पहुंचाने की कहानी इन्हीं की जुबानी।
रंगों से करते हैं बातें
पेपर और कार्ड बोर्ड से विभिन्न स्टेच्यू बनाने वाले अभिषेक चड्ढा लविवि में फाइन आर्ट के स्टूडेंट हैं। अभिषेक सुन नहीं पाते हैं, लेकिन रंगों की बोली वह बखूबी समझते हैं। कॉलेज में उसके दोस्त भी अभिषेक की कला के कायल है। वह कंप्यूटर पर भी बहुत ही शानदार डिजाइनिंग करते हैं। डालीगंज निवासी अभिषेक के पिता चंद्र मोहन चड्डा और मां विम्मी चड्डा उनका सपोर्ट करते हैं।
चित्रकारी है इनकी जुबां
लखनऊ विवि के फाइन आर्ट कॉलेज की होनहार स्टूडेंट सुपर्णा पॉल की कला का हर कोई दीवाना है। टेक्सटाइल डिजाइनिंग में उनकी बहुत दिलचस्पी है। सुपर्णा सुन नहीं पातीं, बोलने में भी परेशानी होती है। इसके बावजूद उन्होंने फाइन आर्ट में अपनी काबिलियत के दम पर प्रवेश लिया। इंटर में 76 प्रतिशत अंक लाने वाली सुपर्णा ने लविवि में भी सम्मानजनक अंक अर्जित किए। ललित कला अकादमी से चित्रकारी सीखने वाली सुपर्णा की चित्रकला की प्रदर्शनी भी लगाई जा चुकी है। मां मधुमिता पॉल ने बताया कि बचपन से ही इसे रंगों का बहुत शौक था। कलर और ब्रश से खेलती थी। आर्ट का शौक था तो इसमें ही आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
एक्रेलिक पेंटिंग करना पसंद
ललित कला अकादमी में चित्रकला कार्यशाला में छह महीने का कोर्स करने वाले शरद यादव शकुंतला मिश्र राष्ट्रीय पुनर्वास विवि में बैचलर ऑफ विजुअल आर्ट के छात्र हैं। कार्यशाला में एक्रेलिक पेंटिंग करना सीखा, और कई कलाकृति तैयार की। पोलियो के शिकार शरद को बचपन से ही आर्ट का बहुत शौक था। गांधी जयंती पर अवध शिल्प ग्राम में लगी चित्रकला प्रदर्शनी में शरद की पेंटिंग को खूब सराहा गया। उन्होंने बताया कि हाईस्कूल, इंटरमीडिएट के छात्र उनके पास मॉडल बनवाने आते हैं, वह उनकी हेल्प करते उन्हें मॉडल बनाना सिखाता है। उन्होंने बताया कि वह आर्ट के टीचर बनना चाहते हैं। बीबीए के बाद एमबीए फिर नेट और पीएचडी करने की सोच रहे हैं।
फोटोग्राफी की दीवानगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान को कैनवास पर उतारकर तारीफ बटोरने वाले आकाश पांडेय की कलाकृतियां लखनऊ के एयरपोर्ट की गैलरी में प्रदर्शित की गई हैं। इसके अलावा शकुंतला मिश्र राष्ट्रीय पुनर्वास विवि की गैलरी में भी उनकी कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं। बैचलर ऑफ विजुअल आर्ट के छात्र आकाश के पिता अखिलेश पांडेय ने बताया कि आकाश जब डेढ़ वर्ष के थे, तभी उन्हें दवाइयों का रिएक्शन हो गया, उसके बाद से वह सुनने की क्षमता खो बैठे, बोलने में भी थोड़ी परेशानी होती है। आकाश को फोटोग्राफी के साथ ऑयल पेंटिंग और वाश पेंटिंग का भी बहुत शौक है।