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श्रीलंका में संवैधानिक संकट, अमेरिका ने संविधान का पालन करने की अपील की

 श्रीलंका में राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री को हटाए जाने के बाद पैदा हुए राजनीतिक संकट के बीच शुक्रवार को अमेरिका ने वहां की राजनीतिक पार्टियों से संविधान का पालन करने और हिंसा नहीं करने की अपील की. विवादित श्रीलंकाई राजनीति दिग्गज महिंदा राजपक्षे ने नाटकीय घटनाक्रम के बीच शुक्रवार को वापसी की और उन्हें श्रीलंका का नया प्रधानमंत्री बनाया गया. राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को पद से बर्खास्त कर दिया. विक्रमसिंघे ने इस कदम को “असंवैधानिक” बताया और कहा कि वह संसद में बहुमत साबित करके दिखाएंगे. 

श्रीलंका में सामने आए इस संकट पर अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह द्वीप देश में हो रही गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं. विदेश मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, “हम सभी पक्षों से श्रीलंका के संविधान के अनुरूप काम करने, हिंसा से दूर रहने और उचित प्रक्रिया का पालन करने की अपील करते हैं.” 

विदेश मंत्रालय के दक्षिण एवं मध्य एशिया ब्यूरो ने कहा, “हम श्रीलंकाई सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह मानवाधिकारों, सुधारों, जवाबदेही, न्याय और सामंजस्य के प्रति जिनेवा प्रतिबद्धताओं को बरकरार रखेगी.” 

महिंदा राजपक्षे ने ट्विटर अकाउंट पर अपना परिचय बदलकर ख़ुद को श्रीलंका का प्रधानमंत्री बताया है. जबकि रानिल विक्रमासिंघे की ट्विटर प्रोफाइल पर अब भी उन्होंने ख़ुद को प्रधानमंत्री लिखा हुआ है. आपको बता दें कि महिंद्रा राजपक्षे को ही मौजूदा राष्ट्रपति सिरीसेना ने पिछले राष्ट्रपति चुनावों में सीधी टक्कर में हराया था. अपने विरोधी को अपनी ही सरकार का प्रधानमंत्री बनाकर मैत्रीपाला सिरीसेना ने सबको चौंका दिया है. ये नियुक्ति राष्ट्रपति सिरीसेना के उस फ़ैसले के तुरंत बाद हुई जिसमें उनकी पार्टी ने कहा था कि उनकी पार्टी गठबंधन सरकार छोड़ रही है. ये सरकार मौजूदा प्रधानमंत्री रानिल विक्रमासिंघे की यूएनपी पार्टी के साथ मिलकर चलाई जा रही थी.

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