LIVE TVMain Slideउत्तर प्रदेशखबर 50जीवनशैलीदेशप्रदेशबड़ी खबरव्यापार

मुख्यमंत्री के समक्ष गो-आश्रय स्थलों को आत्मनिर्भर बनाने के संबंध में प्रस्तुतिकरण

उत्तर प्रदेष के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के समक्ष आज यहां उनके सरकारी आवास पर पषुपालन विभाग द्वारा गो-आश्रय स्थलों को आत्मनिर्भर बनाने के संबंध में प्रस्तुतिकरण किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार पशु संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सेवाभाव के साथ सतत प्रयत्नषील है। निराश्रित गोवंश के संरक्षण सहित सभी पशुपालकों के प्रोत्साहन के लिए प्रदेष सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं। पात्र लोगों को इसका लाभ मिलना सुनिश्चित कराया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में संचालित निराश्रित गो-आश्रय स्थलों की क्षमता विस्तार करने की आवश्यकता है। छोटे-छोटे निराश्रित गो-आश्रय स्थलों के स्थान पर विकास खंड स्तर पर न्यूनतम 2000 गोवंश क्षमता के एक आश्रय स्थल का निर्माण कराया जाए। गो-आश्रय स्थल का परिसर न्यूनतम 30-50 एकड़ का हो। बड़ा परिसर गोवंश के लिए सुविधाजनक होता है। आश्रय स्थल के चयन के दौरान बाढ़ प्रभावित या जल भराव वाले क्षेत्रों से परहेज किया जाए। आश्रय स्थल में एक केयर टेकर की व्यवस्था की जाए। चरणबद्ध रूप से पशु नस्ल सुधार के कार्यक्रमों को भी आगे बढ़ाया जाए। विकास खंड स्तर पर स्थापित होने वाले इन आश्रय स्थलों को वाराणसी के गोबर धन योजना मॉडल पर आत्मनिर्भर बनाया जाए। गोबर, गोमूत्र आदि से विभिन्न उत्पाद तैयार होते हैं। गोशालाओं को आपस में लिंक कर ईंधन उत्पादन का बेहतर कार्य किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दुर्घटना में घायल पषुओं को त्वरित सहायता प्रदान की जाए। पषुओं की सर्जरी की व्यवस्था को और बेहतर किया जाए। सड़क दुर्घटना, आकाषीय बिजली, बाढ़ इत्यादि आपदा से प्रभावित पषुओं को चिकित्सालय तक पहुंचाने के लिए सभी जिलों में उचित पषु वाहन उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने कहा कि पषुपालकों को राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे मासिक 900 रुपये प्रति गोवंष भत्ते का भुगतान नियमित अंतराल पर किया जाए। पषुपालकों एवं गौषालाओं को भुगतान की वर्तमान प्रक्रिया लम्बी और जटिल है, जिससे भुगतान में अनावष्यक विलम्ब होता है। यथाषीघ्र इसका सरलीकरण किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मोबाइल वेटेरिनरी यूनिट के माध्यम से पशुपालकों के द्वार तक पशु चिकित्सा की सेवाएं उपलब्ध करायी जाएं। पशुपालकों को आपातकालीन सहायता के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन नम्बर की सुविधा प्रदान की जाए तथा इस सेवा का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। गोवंष संरक्षण के उद्देष्य से एक राज्य स्तरीय आई0टी0 बेस्ड पोर्टल का विकास किया जाए, जिस पर सभी संरक्षित गोवंष के पंजीकरण, टीकाकरण सहित गोवंष का पूरा विवरण ऑनलाइन की गतिविधि दर्ज हो।

Related Articles

Back to top button