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बुन्देलखण्ड के ऐतिहासिक किलों और महलों को हेरिटेज स्थल के रूप में विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा टूरिज्म मास्टर प्लान तैयार करने का कार्य शुरू

माननीय मुख्यमंत्री जी की अपेक्षा के अनुसार बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थित पुराने किलों, दुर्गों तथा महलों का जीर्णोद्धार करके उन्हें पर्यटन के नवीन केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा वृहद स्तर पर टूरिज्म मास्टर प्लान तैयार कराया जा रहा है। इन प्राचीन धरोहरों को हेरिटेज स्थल के रूप में विकसित कर उनका समग्र विकास तथा बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सेप्ट विश्वविद्यालय अहमदाबाद, स्कूल आफ प्लानिंग एण्ड आर्किटेक्ट, नई दिल्ली, फैकल्टी आफ आर्किटेक्ट, लखनऊ विश्वविद्यालय तथा पर्यटन विभाग में इन्पैनल्ड जाने-माने आर्किटेक्टों से विस्तृत डी0पी0आर0 तैयार कराये जा रहे हैं।
यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने आज यहाँ दीं। उन्होंने बताया कि बुन्देलखण्ड में स्थित 31 किलों, महलों, फोर्ट एवं गढ़ी आदि की अद्यतन स्थिति के बारे में सम्बन्धित जिलाधिकारियों से रिपोर्ट मंगाई गई है। उन्होंने बताया कि बुन्देलखण्ड के 07 जनपदों में स्थित ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व तथा प्राचीन गौरवगाथा को समेटे हुए झांसी के 8, बांदा के 4, जालौन के 2, ललितपुर के 7, हमीरपुर के 3, महोबा के 5 तथा चित्रकूट के 2 किलों को हेरिटेज स्थल के रूप मंे विकसित किया जाना है। मा0 मुख्यमंत्री जी ने अभी हाल में ही बुन्देलखण्ड क्षेत्र के किलों एवं महलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने के लिये विस्तार से समीक्षा की थी।
श्री जयवीर सिंह ने बताया कि जिलाधिकारियों के रिपोर्ट के अनुसार ये प्राचीन धरोहरें भारतीय पुरातत्व संस्थान, स्थानीय प्रशासन, निजी स्वामित्व, राज्य पुरातत्व विभाग, ग्राम पंचायतों वन विभाग की सीमा के अन्तर्गत तथा स्थानीय प्रशासन की देख-रेख में है। इनमें से अधिकांश की स्थिति ठीक नहीं है और उपयोग के लायक नहीं है। उन्होंने बताया कि पूरा बुन्देलखण्ड ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के धरोहरों से सम्पन्न है। यह वीरों की धरती है, इनके साथ ऐतिहासिक स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं। इनका जीर्णोद्धार करके दिव्य एवं भव्य रूप देकर पर्यटकों को आकर्षित करना है।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि कुछ किलों/महलों में सम्पर्क मार्ग की स्थिति अत्यन्त दयनीय है। इसमें बिजली की भी व्यवस्था की जानी है। इसके अलावा बुनियादी सुविधाओं से युक्त भी करना है। इसके लिये पर्यटन, संस्कृति, ग्राम्य विकास, नगर विकास, परिवहन, नागरिक उड्डयन, खेल, गृह, औद्योगिक विकास तथा जलशक्ति आदि विभागों के समन्वय से कार्य कराये जाने हैं, इसके अलावा निजी क्षेत्र की सहभागिता भी ली जायेगी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार भी इसके लिए संसाधन उपलब्ध करायेगी। उन्होंने यह बताया कि पर्यटन विभाग इन किलों में पर्यटन की गतिविधियाँ शुरू करने के लिए तेजी से कार्यवाही कर रहा है। इन स्थलों को हेरिटेज का रूप दिया जायेगा।
श्री जयवीर सिंह ने बताया कि जीर्णोद्धार के लिए तैयार की जा रही मास्टर प्लान मंे सम्बन्धित विभागों की भूमिका तथा समयबद्धता निर्धारित की जायेगी। उन्होंने बताया कि इनमें से तालबेहट दुर्ग की स्थिति बहुत अच्छी है। यहां पर वर्षभर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। उन्होंने बताया कि कलिंजर के किला में पी0पी0पी0 माडल से लाइट एण्ड साउण्ड शो कैम्पिंग-ट्रैकिंग, रॉक क्लाइम्बिंग और फसाड लाइटिंग के कार्य कराये जायेेंगे। इसके अलावा लैण्ड स्केपिंग, सड़क निर्माण पेयजल आदि की सुविधा सुलभ करायी जायेगी। इस तरह इन सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक स्थलों को हेरिटेज स्थल में परिवर्तित करते हुए पर्यटन सम्बन्धी गतिविधियाँ बढ़ाई जायेंगी। इससे ये ऐतिहासिक धरोहरें संरक्षित रहेंगी साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा होगें और सरकार को राजस्व भी प्राप्त होगा।

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