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आज है कॉमेडी के महारथी राजपाल यादव 53वां जन्मदिन

कॉमेडी के महारथी कहे जाने वाले छोटी हाईट के बड़े एक्टर राजपाल यादव ने पर्दे पर हमेशा लोगों को गुदगुदाया है। एक्टिंग में उनकी वर्सटालिटी सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। वह विलेन बनकर भी लोगों के मन में अपना डर बना चुके हैं। आज इस मशूहर एक्टर का बर्थ डे है। इस मौके पर हम फिल्म से पहले की उनकी लाइफ के बारे में आपको बताएंगे।

फिल्म इंडस्ट्री में अच्छी कद-काठी और रंग रूप बहुत मायने रखता है। एक्टर या एक्ट्रेस बनने के बाद कोई भी कलाकार अपनी पर्सनालिटी का खासा ध्यान रखता है ताकि स्क्रीन पर वह हर सबब अच्छा दिखे। मगर इन गुणों के न होते हुए भी एक कलाकार ऐसा है, जिसने अपनी कॉमेडी से बॉलीवुड में राज किया है। हम बात कर रहे हैं राजपाल यादव की।

16 मार्च, 1971 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के कुंडरा गांव में जन्मे राजपाल यादव (Rajpal Yadav) आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। पर्दे पर उनकी सक्सेस सबने देखी है। लेकिन सफलता का ये स्वाद चखने से पहले उन्हें निजी जिंदगी में हालात से मजबूर खूब पापड़ बेलने पड़े थे। आज 53वां जन्मदिन मना रहे राजपाल यादव के पास अकूट संपत्ति है और ऐशो आराम की कोई कमी नहीं है। मगर पर्दे पर सबको हंसाने वाले राजपाल यादव की निजी जिंदगी कठिनाइयों भरी रही है। उनके खास दिन पर हम बात करेंगे उनके फिल्मों में आने के पहले की जिंदगी के बारे में

टेलरिंग से शुरू किया था करियर

एक्टर 19 या 20 वर्ष के थे, जब इनकी पहली पत्नी करुणा का निधन हो गया और वह रह गए अकेले नवजात बेटी ज्योती के साथ। अचानक टूटे इस पहाड़ ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने नौकरी की, लेकिन यहां मन न लगने के कारण वह इसे ज्यादा दिनों तक नहीं चला सके। अभिव्यक्ति की कराह भी दिल में कचोटने लगी। परिवार की आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं थी, इसलिए राजपाल ने एक्टिंग लाइन में आने से पहले टेलरिंग का काम शुरू किया। उन्हें ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में टेलर की नौकरी मिली थी।

राजपाल को नौकरी तो मिल गई, लेकिन उनका सपना आर्मी में जाने का था। इसके लिए उन्होंने खूब प्रयास किए, लेकिन जब रैली में अधिकारियों ने उनका छोटा कद देखा, तो रिजेक्शन के अलावा उनके नसीब में कुछ न आया। वह समझ गए कि यहां उनका कुछ न होने वाला। लिहाजा, सब कुछ भूलकर उन्होंने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में नौकरी शुरू कर दी। लेकिन वो कहते हैं न कि जहां चाह है, वहां राह है। राजपाल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उन्होंने ये नौकरी ज्यादा दिनों तक नहीं की।

इस तरह थिएटर से जुड़े राजपाल यादव

जब राजपाल की पहली पत्नी का निधन हुआ, तब उनकी बेटी ज्योति एक दिन की थी। राजपाल की उम्र भी कम थी। वह जवान थे और जिंदगी बनाने का उनके पास बेहतरीन मौका था, लेकिन कम उम्र में बढ़ी जिम्मेदारी की वजह से वह समझ नहीं पा रहे थे कि कैसे क्या करना है। तब उनकी मां और परिवार की तमाम महिलाओं ने उनकी बेटी को संभाला, जिस कारण राजपाल थिएटर सीखने के अपने शौक को पूरा कर पाए।

राजपाल ने 1992 में भारतेंदु नाट्य एकेडमी में एडमिशन ले लिया। यहां दो साल तक एक्टिंग की तालीम लेने के बाद नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (National School of Drama) में हाजिरी लगाई। यहीं से राजपाल के करियर को दिशा मिली और कुछ सालों बाद मुंबई का सफर तय करते हुए राजपाल ने टीवी और फिर फिल्मों में एक्टिंग शुरू कर दी।

राजपाल यादव ने 100 से अधिक फिल्मों में काम किया है। वैसे तो वह कॉमेडियन के रोल के लिए मशहूर हैं, लेकिन सिल्वर स्क्रीन पर विलेन बनकर भी वह हीरो पर खूब भारी पड़े हैं। राजपाल ने अपने हर किरदार को एक मुकाम पर ला खड़ा किया। बॉलीवुड में वह इस कदर छाए कि दर्शकों ने सिर आंखों पर बिठाया।

इस टीवी सीरीयल से की थी शुरुआत

फिल्मों में आने से पहले राजपाल ने 1990 के अंत में प्रकाश झा के दूरदर्शन पर आने वाले शो ‘मुंगेरी के भाई नौरंगीलाल’ में काम किया था। यह शो ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ का अगला पार्ट था, जो देशभर में बड़ा हिट हुआ। इसके बाद 1999 में आई ‘मस्त’ से राजपाल ने बड़े पर्दे पर अपना सफर शुरू किया।

रवीना टंडन- मनोज बाजपेयी थे स्टारडम देखकर दंग

1999 में ‘दिल क्या करे’ रिलीज हुई थी। जब इसकी शूटिंग हो रही थी, तब तक मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) का ‘भीखू म्हात्रे’ किरदार फेमस हो चुका था। रवीना (Ranveena Tandon) भी बड़ी स्टार थीं। स्टार्स को देखते ही भीड़ चिल्लाने लगती है। लेकिन इस फिल्म की शूटिंग पर उल्टा ही हुआ। दरअसल, जैसे ही लोगों की नजर राजपाल पर भड़ी , उन्होंने ‘नौरंगी’ कहकर पुकारना शुरू कर दिया। यूनिट के लोग यह देखकर हैरान थे क्योंकि उन्हें राजपाल के टीवी शो के बारे में कुछ नहीं मालूम था। तब राजपाल के स्टारडम का अंदाजा लगा और यह भी पता चला कि ‘नौरंगी’ कोई और नहीं, वही हैं।

शुरुआत में राजपाल ने छोटे-मोटे रोल से काम चलाया। फिल्म इंडस्ट्री में बने रहने के लिए यह जरूरी भी था। इस निरंतर प्रयास का फल उन्हें राम गोपाल वर्मा (Ram Gopal Varma) की ‘जंगल’ में मिला, जिसमें ‘सिप्पा’ का उनका किरदार जबरदस्त हिट साबित हुआ।

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