उत्तर प्रदेश

हाउस टैक्‍स निर्धारण में नहीं चलेगी मनमानी, कंप्‍यूटर करेगा सबकी निगरानी

 नेशनल इन्फॉरमेशन सेंटर (एनआइसी) ने नगर निगम में भवन कर निर्धारण और सुनवाई करने वाले अधिकारियों के लिए नया सॉफ्टवेयर तैयार किया है। गुरुवार से इसने काम शुरू भी कर दिया। इससे अब भवन कर निर्धारण में राजस्व निरीक्षकों तथा जोनल अधिकारियों की मनमानी नहीं चलेगी। इनके हर दिन के काम का ब्योरा अधिकारियों को कंप्यूटर पर नजर आएगा।

अभी तक नगर निगम में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी, जिससे रोजाना पता चल सके कि राजस्व निरीक्षकों द्वारा कर निर्धारण और कर अधीक्षक तथा जोनल अधिकारियों द्वारा कितने विवादित मामलों की सुनवाई की गई है। समीक्षा बैठक से पहले ही ब्योरा एकत्र किया जाता था और इसमें तीन से चार दिन लग जाते थे। कभी-कभी गलत आंकड़े पेश कर उपलब्धियां दिखाकर अधिकारियों को गुमराह किया जाता था। ऐसे में अधिकारियों को लंबित मामलों की जानकारी नहीं हो पाती थी और तमाम शिकायतें उन तक पहुंचती थीं। हर मंगलवार को लोक मंगल दिवस में मेयर के सामने भी भवन कर निर्धारण को लेकर बहुत सारी शिकायतें पहुंचती थीं।

41 फीसद ही जमा कर रहे भवन कर

नगर निगम में 41 प्रतिशत लोग ही भवन कर जमा कर रहे हैं। अधिकांश मामले कर निर्धारण गलत तरीके से होने से विवादित हैं। इस कारण लोग इसे जमा नहीं कर रहे हैं। इससे नगर निगम की आय में वृद्धि नहीं हो पा रही है। नगर निगम सीमा में वर्ष 2018-19 में भवनों की संख्या (वित्तीय वर्ष)  5,59,786 (72 हजार अनावासीय) है। इसमें से अभी सिर्फ  2,29,900 का ही भवन कर जमा हो रहा है।

क्‍या कहते हैं अधिकारी

मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक कुमार सिंह ने बताया कि नए सॉïफ्टवेयर से हाउस टैक्स में वृद्धि होगी। अब इससे पता चल जाएगा कि किस वार्ड के किस राजस्व निरीक्षक ने दिनभर में कितने भवनों का कर निर्धारण किया है। जोनल अधिकारियों ने कितने विवादित मामलों में सुनवाई की है। अब नगर निगम के अधिकारी हर दिन के काम की समीक्षा कंप्यूटर से कर सकेंगे।

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