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अनशन पर बैठे केजरीवाल के मंत्री की चौथे दिन तबीयत खराब, BJP का धरना दूसरे दिन भी जारी…

देश की राजधानी दिल्ली पिछले तीन दिन से अधिक समय से धरना-प्रदर्शन में तब्दील है। पहले विपक्ष अपनी मांगें मनवाने और दबाव बनाने के लिए धरना-प्रदर्शन का सहारा लेता था, लेकिन दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (AAP) इस परिपाटी को बदलते हुए धरना-प्रदर्शन पर उतर आई है। पिछले तीन दिन से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत तीन कैबिनेट मंत्री उपराज्यपाल अनिल बैजल के खिलाफ के खिलाफ उनके ही निवास पर धरना दे रहे हैं। जहां केजरीवाल का एलजी के खिलाफ धरना चौथे दिन में प्रवेश कर गया है। वहीं मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने भी सीएम के खिलाफ उनके घर पर धरना तेज कर दिया है।  सीएम के अावास पर भाजपा के धरने का बृहस्पतिवार को दूसरा दिन है। 

सीएम केजरीवाल ने बृहस्पतिवार सुबह फिर ट्वीट कर संदेश दिया है कि एलजी के खिलाफ उनकी जंग जारी रहेगी। उन्होंने सुबह ट्वीट किया- ‘आख़िर दिल्ली वाले क्या मांग रहे हैं।’ 1. IAS अफ़सरों की हड़ताल ख़त्म करो।2. राशन की डोरस्टेप डिलिवरी लागू करो। नहीं होना चाहिए ये? दुनिया में कोई कह सकता है कि ये नहीं होना चाहिए? फिर ये लोग क्यों नहीं कर रहे? आज चौथा दिन है। इनकी मंशा ठीक नहीं लग रही।’

वहीं, मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन का बृहस्पतिवार सुबह रुटीन मेडिकल चेकअप हुआ। इसमें पता चला है कि सत्येंद्र जैन की तबीयत ठीक नहीं है। 

उधर, सीएम अरविंद केजरीवाल के धरने के विरोध में भाजपा के नेता बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में धरने पर बैठे। दिल्ली बीजेपी नेता मनजिंदर सिरसा ने फोटो ट्वीट करते हुए लिखा कि केजरीवाल को नौटंकी बंद करनी चाहिए और काम पर वापस आना चाहिए। इस धरने में AAP के बागी नेता कपिल मिश्रा भी शामिल थे।

 

वहीं, धरने को लेकर भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने भी सुबह ट्वीट कर कहा- ‘ सीएम के कार्यालय में पानी की मांग को लेकर 20 घंटे से है, रात भर मच्छरों से परेशान रहे,CM साहब ने आफिस के टायलेट पर भी ताला लगवा दिया है। लेकिन “हर ज़ोर ज़ुल्म की टक्कर मे संघर्ष हमारा नारा है” AAP की नौटंकी को बेनक़ाब करने के लिए हमारा धरना जारी रहेगा। वन्दे मातरम्. विजेन्द्र गुप्ता।’

यहां पर बता दें कि दिल्ली सरकार के सारे मंत्री भले ही उपराज्यपाल के घर धरने पर बैठे हों, लेकिन केंद्र सरकार और उपराज्यपाल इस मामले में दखल देने के मूड में नहीं है। गृह सचिव राजीव गाबा के साथ उपराज्यपाल अनिल बैजल की मुलाकात में यही तय हुआ है। वहीं, गृह मंत्रालय का मानना है कि नौकरशाही से झगड़ा दूर करने के लिए केजरीवाल को खुद पहल करनी चाहिए। इसके लिए केंद्र सरकार को कहना सही नहीं है।

संकट राजनीतिक है, न कि संवैधानिक

गृहमंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार गृह सचिव के साथ मुलाकात के दौरान बैजल ने माना कि दिल्ली सरकार का संकट राजनीतिक है, न कि संवैधानिक। इसी कारण उपराज्यपाल और गृहमंत्रालय को इसमें हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है। संकट यदि संवैधानिक होता तो निश्चित रुप से केंद्र सरकार इसका हल निकालने की कोशिश करती। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केजरीवाल सरकार के धरने से प्रशासनिक कामकाज में रुकावट का कोई लेना देना नहीं है।

सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्रालय की ओर से उपराज्यपाल को पूरे विवाद से दूर रहने को कहा है। मंत्रालय का मानना है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को खुद नाराज नौकरशाहों को मनाने की पहल करनी चाहिए। यदि केजरीवाल कोई पहल करते हैं, तो गृहमंत्रालय इसमें जरूर मदद करेगा। लेकिन नौकरशाहों के साथ मारपीट करने और धमकी देने के बाद कार्रवाई के डर से धरने पर बैठना उचित नहीं है।

नौकरशाह अपने ड्यूटी कर रहे हैं

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केजरीवाल दिल्ली के नौकरशाहों के काम नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन मंत्रालय के पास किसी नौकरशाह के काम नहीं करने की कोई रिपोर्ट नहीं है। उनके अनुसार सारे नौकरशाह अपने ड्यूटी कर रहे हैं और तय कार्यक्रमों में नियमित हिस्सा ले रहे हैं। ऐसे में किसी नौकरशाह के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई कैसे की जा सकती है।

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