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ममता के ‘दिल्ली ड्रीम’ से डरा लेफ्ट, कांग्रेस को दी ये बड़ी चेतावनी

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में जुटी हैं. इस कड़ी में ममता बुधवार को दिल्ली आईं और जंतर मंतर पर आम आदमी पार्टी (आप) की रैली में शामिल हुईं. इसके बाद देर शाम एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के घर पर हुई विपक्षी बैठक में शिरकत किया. ममता की दिल्ली में बढ़ती सक्रियता से लेफ्ट बेचैन नजर आ रहा है.

ममता बनर्जी ने दिल्ली में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को मिलकर चुनावी रण में उतरने की बात कही. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि विपक्ष के दल मिलकर एनडीए को सत्ता से हटाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होकर चुनाव लड़ें.  

ममता ने कहा कि बंगाल में हम (टीएमसी) माकपा और कांग्रेस के खिलाफ लड़ रहे हैं. भाजपा, माकपा और कांग्रेस राज्य में तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ लड़ रही हैं, लेकिन सभी विपक्षी पार्टियां राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है.

ममता के इस बयान को लेकर कांग्रेस और सीपीएम ने बुधवार को कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में इससे पश्चिम बंगाल में उनकी (कांग्रेस और सीपीएम की) संभावना पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. दरअसल, कांग्रेस और सीपीएम को लगता है कि ममता के बयान से पश्चिम बंगाल में टीएमसी विरोधी वोटों में ध्रुवीकरण होगा और इसका राजनीतिक फायदा बीजेपी को मिलेगा.

सीपीएम की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि बनर्जी ने बीजेपी को बंगाल में मतों का ध्रुवीकरण करने में मदद पहुंचाने के लिए जान-बूझकर ऐसा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सभी को पता है कि बीजेपी ममता के कार्यकाल में काफी आगे बढ़ी है. सीपीएम ने आरोप लगाते हुए कहा कि टीएमसी और बीजेपी दोनों अंदर खाने मिलीभगत है.

पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने भी लेफ्ट की हां में हां मिलाते हुए कहा कि एक तरफ ममता बीजेपी के खिलाफ लड़ने की बात कर रही हैं और दूसरी तरफ उनकी पार्टी बंगाल में कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टी को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रही है.

दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल पर बीजेपी ने फोकस किया है. इसी का नतीजा है कि बीजेपी राज्य में कांग्रेस और लेफ्ट को पीछे छोड़ते हुए दूसरे नंबर की पार्टी बनी है. पंचायत और उपचुनाव में बीजेपी के वोटों का ग्राफ बढ़ा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सूबे की 48 संसदीय सीटों में से 22 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है.

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