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रूठ गया मॉनसून, 100 सालों में 5वीं बार इतना सूखा है जून, जुलाई में बारिश की संभावना

अमित भट्टाचार्य, नई दिल्ली इस साल जून के महीने में खासी गर्मी देखने को मिली है। मौसम विभाग के मुताबिक बीते 100 सालों में यह पांचवां सबसे सूखा जून था। पूरे देश में जून के महीने में बारिश औसत से 35 फीसदी कम रही है। महीने के खत्म होने में महज दो ही दिन बचे हैं और इस बात की उम्मीद बेहद कम ही है कि यह कमी पूरी हो पाएगी। आमतौर पर जून महीने में 151 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस महीने अब तक यह आंकड़ा 97.9 मिलीमीटर का ही रहा है।

इस महीने का अंत 106 से 112 मिलीमीटर तक बारिश के साथ होने की संभावना है। 1920 के बाद से ऐसे 4 ही साल थे, जब इस कदर सूखा गुजरा था। 2009 में सबसे कम 85.7 मिलीमीटर, 2014 में 95.4, 1926 में 98.7 मिलीमीटर और 1923 में 102 मिलीमीटर बारिश हुई थी। 2009 और 2014 दोनों ही वर्ष ऐसे थे, जब मॉनसून अल-नीनो के प्रभाव के चलते कमजोर रहा था। इस साल भी ऐसी ही स्थिति है।

अल-नीनो के प्रभाव के चलते पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर की सतह में असामान्य रूप से गर्मी की स्थिति होती है। इससे हवाओं का चक्र प्रभावित होता है और यह भारतीय मॉनसून पर बेहद विपरीत प्रभाव डालता है। इस साल मौसम वैज्ञानिकों ने पहले ही अल-नीनो के देर से सक्रिय होने और कमजोर रहने की आशंका जताई थी। हालांकि पिछले सप्ताह स्थिति में कुछ सुधार हुआ और ऐसे इलाकों में, मराठवाड़ा और विदर्भ, भी बारिश हुई, जो लंबे समय से सूखे की मार झेल रहे थे।

 

हालांकि एक अच्छी खबर सुनने को मिल सकती है। रविवार 30 जून तक बंगाल की खाड़ी में कम दबाव की स्थिति बन रही है। इसके चलते जुलाई के पहले सप्ताह में ओडिशा, मध्य भारत और उत्तर पश्चिम भारत में अच्छी बारिश हो सकती है।

मौसम विभाग के सीनियर अधिकारी के. साथी देवी ने कहा, ‘हम 30 जून के बाद मॉनसून में अच्छी मजबूती की उम्मीद कर रहे हैं। इस बात की काफी संभावना है कि मॉनसून मध्य भारत, गुजरात के बाकी हिस्सों की ओर बढ़ेगा।’ जुलाई में कब दबाव की स्थिति के चलते मॉनसून बेहतर हो सकता है। खरीफ की फसल की बुआई के लिए जुलाई का महीना सबसे अहम होता है और इसे मॉनूसन का सबसे ज्यादा बारिश वाला माह माना जाता है।

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