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पहले होने लगी मातम की तैयारी, घर लाए तो जिंदा निकला मरीज

परिवारीजनों का आरोप है कि सोमवार को डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घर पर जनाजे की तैयारियां होने लगीं। थोड़ी देर में भाई उसे ऐम्बुलेंस से लेकर घर पहुंचा।

लखनऊ
10 दिन पहले सड़क हादसे में घायल हुए इंदिरानगर निवासी इरफान का निरालानगर के इंडिया हॉस्पिटल ऐंड ट्रॉमा सेंटर में इलाज चल रहा था। परिवारीजनों का आरोप है कि सोमवार को डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घर पर जनाजे की तैयारियां होने लगीं। थोड़ी देर में भाई उसे ऐम्बुलेंस से लेकर घर पहुंचा। रिश्तेदार स्ट्रेचर उतारने लगे तो पता चला कि वह जिंदा है। उसे तुरंत लोहिया अस्पताल ले गए, जहां प्राथमिक इलाज के बाद उसे दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया गया।

इरफान के भाई सलमान ने बताया कि हादसे में घायल होने के बाद उसे इंडिया हॉस्पिटल ऐंड ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करवाया गया था। वहां उसे वेंटिलेटर पर रखा गया, जिसमें लंबा-चौड़ा खर्च आया। आरोप है कि इस दौरान डॉक्टरों ने परिवारीजनों को उससे मिलने नहीं दिया। अस्पताल वालों को जब लगा कि उनके पास रुपये खत्म हो गए तो उन्होंने सोमवार को इरफान को मृत घोषित कर ले जाने को कहा। मौत की खबर सुनकर घर में रिश्तेदार जुटने लगे। उनके बैठने का इंतजाम के साथ अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हो गईं। घर पर जब गाड़ी से भाई को उतारा जा रहा था तो उसकी सांसें चल रही थी। उसे तुरंत लोहिया अस्पताल ले गए जहां उसे गंभीर बताते हुए कहीं और ले जाने को कहा गया। अब इरफान को सीएनएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

जमीन और जेवर बेच कर किया इलाज 
इरफान के दोस्त विजयेंद्र ने बताया कि उसके इलाज के लिए घरवालों ने जेवर और गाड़ी से लेकर जमीन तक बेची। अलग-अलग दिनों में कुल आठ लाख रुपये अस्पताल में जमा करवाए। सोमवार को भी इरफान को ले जाने से पहले अस्पताल एक लाख रुपये मांग रहा था, लेकिन जब हम लोगों ने काफी विरोध किया तो बॉडी दे दी। जब घर लाए तो पता चला वो जिंदा है।

सीएमओ लखनऊ नरेंद्र कुमार अग्रवाल ने कहा, ‘इंडिया हॉस्पिटल के मामले की जानकारी मिली है। परिवारीजनों के दस्तावेज देखकर मामले की जांच करवाई जाएगी। साथ ही अस्पताल अगर दोषी साबित हुआ तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।’ हॉस्पिटल संचालक समिया रफीक ने कहा कि मरीज को हमने मृत नहीं घोषित किया, बल्कि परिवारीजन उसे अपनी जिम्मेदारी पर ले गए। इसका लिखित दस्तावेज हमारे पास है। मरीज को जिंदा भेजा गया है। हम मृत घोषित करते हैं तो इसका सर्टिफिकेट भी देते हैं, परिवारीजनों के पास हो सर्टिफिकेट है तो दिखाएं।

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