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पांच दिन में पूरे करने होंगे हज अरकान, मिनटों में जानिए तरीका और खास बातें

लखनऊ, इस्लाम के पांच वाजिबात (जिन कार्यों को करना जरूरी है) में एक है हज। हज के लिए सऊदी अरब गए आजमीनों को सबसे पहले उमरा करना होगा। इसके बाद हज होगा, जो बकरीद (माह) की आठ से 12 के बीच किया जाएगा। इन पांच दिनों में आजमीनों को अलग-अलग धार्मिक स्थलों पर जाकर हज के विभिन्न अरकान पूरे करने होंगे। अरफात से मुकद्दस सफर की शुरुआत होगी, इसके बाद में मुदल्फा फिर मिना में कयाम  कर आजमीनों को सभी अरकान पूरे करने होंगे।

जिलहिज्ज की 12 तारीख को हज मुकम्मल होगा। हज यात्रा पर जाने वाले आजमीनों को कौन-कौन से अरकान पूरे करने होंगे? उनका तरीका क्या है? और किन बातों का विशेष ध्यान रखना होगा|

शिया समुदाय

पहला दिन: आठ बकरीद को रात शुरू होने से लेकर अगले दिन सूरज डूबने तक अरफात में रहकर इबादत करनी होगी।
दूसरा दिन: नौ बकरीद की पूरी रात और दस की सुबह तक मुदल्फा में कयाम कर इबादत करनी होगी। शैतान को कंकरी (छोटे पत्थर) मारने के लिए पत्थर इकठ्ठा करने होंगे। कम से कम 21 या 31 कंकरी चुन सकते हैं।

तीसरा दिन: दस बकरीद को सूरज निकलने से पहले मिना में पहुंचना होगा। यहां तीनों शैतानों को कंकरी मारने के बाद कुर्बानी करानी होगी। फिर सिर मुंडवाना होगा। बाद में मक्का पहुंचकर सात बार हरम शरीफ का तवाफ करना होगा। साथ ही नमाज-ए-तवाफ अदा करनी होगी। इसके बाद सफा व मरवा की पहाड़ी के सात चक्कर लगाने के साथ तवाफुन निसा करना होगा। रात बिताने के लिए मिना में वापस लौटना होगा।

चौथा व पांचवा दिन: 11 व 12 तारीख को मिना में रहकर इबादत करनी होगी। दोनों दिन शैतान को कंकरी मारनी होगी। अंतिम दिन कंकरी मारने के बाद हज मुकम्मल हो जाएगा।

ये बरतें सावधानियां

शिया मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने बताया कि अरफात में एहराम बांधने के बाद तीसरे दिन दस तारीख को हरम शरीफ के तवाफ के बाद ही उतारा जाएगा। इस बीच न तो खुशबू का इस्तेमाल कर सकते हैं न ही आइना देख सकते हैं। अरफात से मिना तक खुली छत वाली गाड़ी से सफर करना होगा। हवाई चप्पल पहन सकते हैं। तीन दिन में सात-सात बार शैतान को कंकरी मारनी होगी। नियम टूटने पर हर गलती के बदले एक कुर्बानी करानी होगी। शैतान को कंकरी मारते समय अगर निशाना चूक जाए तो दोबारा कंकरी मारनी होगी।

सुन्नी समुदाय

पहला दिन: आठ बकरीद की रात मिना में रहकर इबादत करें और दुआएं मांगें।

दूसरा दिन: नौ बकरीद की सुबह नमाज के बाद अरफात पहुंचकर अधिक से अधिक बार ‘लल्लाह हुम्मा लब्बैक’ पढऩा होगा। फिर जोहर व अस्र की नमाज साथ में अदा करनी होगी। मगरिब की नमाज से पहले मुदल्फा में इबादत करनी होगी। अगले दिन सुबह की नमाज अदा कर मिना पहुंचना होगा।

तीसरा दिन: दस बकरीद की सुबह सूरज निकलने के बाद तीनों शैतान को कंकरी मारनी होगी। बाद में कुर्बानी कराने के बाद सिर मुंडाए। फिर अपना एहराम खोल दें। हरम शरीफ के सात चक्कर लगाने के बाद मुकाम-ए-इब्राहीम पर पहुंच कर दो रकत नमाज अदा करनी होगी। बाद में सफा व मरवा पहाड़ी का तवाफ कर वापस मिना में पहुंचना होगा।

चौथा व पांचवा दिन: 11 व 12 बकरीद को मिना में रहकर अधिक से अधिक इबादत करें। अपने गुनाहों की माफी मांगें दुआएं करें। दोनों दिन शैतान को कंकरी मारने के बाद हज मुकम्मल हो जाएगा।

ये बरतें सावधानियां

सुन्नी मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि हज हाउस से आजमीनों को अपना एहराम बांधकर निकलना होगा। एहराम बांधने से हज मुकम्मल होने तक कई सावधानियां बरतनी होंगी। इसबीच बाल में तेल लगाना, कंघी करना, इत्र लगाना आदि मना है। बारह तारीख को मिना में वापस लौटने की जगह एक दिन अधिक रहकर इबादत करना बेहतर है।

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