लखनऊ: एलडीए की अनदेखी से चारबाग बना मौत का ठिकाना…
एलडीए की से चारबाग मौत का गढ़ बन गया है। इस इलाके में डेढ़ सौ से अधिक छोटे बड़े होटल हैं, जिनमें से अधिकाश के पास होटल का मानचित्र पास नहीं है। दूध मंडी के पास जिस होटल विराज और एसएसजे इंटरनेशनल में मंगलवार को आग लगी, उन दोनों के होटल का नक्शा नहीं पास था। करीब तीन साल पहले विराट के मालिक ने दिखावा करने के लिए मकान का मानचित्र पास करवा कर होटल बना दिया था। जबकि दूसरे होटल मालिक ने तो करीब सात साल पहले बिना नक्शा पास करवाए ही निर्माण करा लोगों के लिए मौत का होटल खड़ा कर दिया। ये होटल संचालित रहे और प्राधिकरण के प्रवर्तन विभाग के जिम्मेदार अभियंता केवल देखते रहे। इसी तरह से चारबाग में डेढ़ सौ और होटल भी बिल्डिंग बॉइलॉज को ताक पर रख कर चल रहे हैं। प्राधिकरण के अफसर कह रहे हैं कि इस बारे में वे विस्तृत रिपोर्ट तलब कर रहे हैं। एलडीए सचिव एमपी सिंह ने संबंधित अधिशासी अभियंता और अन्य अधिकारियों की मीटिंग लेकर पूरे मामले की जाच शुरू कर दी है।
पुरानी इमारतों को तोड़ कर बनाए गए होटल:
शुरुआती जाच में जो तथ्य सामने आए हैं, उनके मुताबिक ये दोनों प्लाट इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में दर्ज हैं जो एलडीए के गठन से पहले ही आवंटित किये गये थे। दोनों होटल का निर्माण कब शुरू किया गया, इसकी जानकारी प्राधिकरण के पास नहीं है। जबकि वास्तविकता ये है कि, पहले यहा पुरानी इमारतें थीं। बाद में इनको होटल का रूप दिया गया। साल 2012 एसएसजे इंटरनेशनल होटल का निर्माण किया गया। जबकि 2015 में विराट होटल तैयार हो गया। यहा जम कर अवैध निर्माण किया जाता रहा। जिसकी एलडीए के अभियंताओं ने की है। जिस वजह से यहा होटल निर्माण किया जाता रहा। एलडीए सचिव एमपी सिंह ने बताया कि, इस मामले में जिम्मेदारी तय की जाएगी। जिन अभियंताओं के समय में इन दोनों होटलों का निर्माण या दोबारा निर्माण किया जाता रहा, उन पर एक्शन होगा। ये प्रकरण बहुत गंभीर है। पूरी रिपोर्ट आने के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस में दर्ज है डेढ़ सौ से अधिक होटलों का ब्योरा:
थाना नाका ¨हडोला के तहत चारबाग क्षेत्र आता है। रेलवे स्टेशन से नजदीकी के चलते यहा शहर के सबसे अधिक होटल हैं। एलडीए की इंप्रूवमेंट ट्रस्ट और नजूल से जुड़े भूखंड यहा हैं। पुराने होटल मुख्य मार्ग पर बनाए गए हैं। जबकि नये होटलों का निर्माण सड़क के भीतर अपेक्षाकृत कम चौड़े मार्गो पर किया गया है। इनमें से अगर होटल के नक्शे की बात करो तो इक्का-दुक्का ने ही नक्शा पास करवाया है। एलडीए के अभियंताओं से मिलीभगत कर के जम कर निर्माण किये जाते रहे हैं। जिसका नतीजा ये है कि इस पूरे इलाके में मकान गेस्ट हाउस और होटलों में तब्दील किये जा रहे हैं।
सारे नियम ताक पर, सराय एक्ट का सहारा:
होटल से जुड़े नियम ताक पर रख कर आजादी से पहले के सराय एक्ट का दुरुपयोग कर के घरों में धड़ल्ले से होटल उद्योग चलाया जा रहा है। दो से पाच हजार वर्ग फीट भूमि पर आठ से 30 कमरों तक के होटल बनाए जा रहे हैं। जिनमें न तो फायर एनओसी है। आपातकालीन निकास, पर्याप्त पानी, अग्निशमन उपकरण और सेटबैक के सारे कायदे दरकिनार कर के चारबाग में होटल मशरूम की तरह उगते जा रहे हैं।
क्या कहना है लविप्रा का?
– लविप्रा उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह का कहना है कि इन दोनों होटलों में अवैध निर्माण और इंजीनियरों की जिम्मेदारी को लेकर जाच करवाई जा रही है। पूरा विवरण मंगाया गया है। जिसमें सारे तथ्य सामने आने के बाद कुछ कहा जा सकेगा। फिलहाल जो पता चला है कि ये पुराने निर्माण हैं। जो कि इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की भूमि पर किये गये हैं।