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SDMC के मेयर का दावा- देश के टॉप-10 स्वच्छ शहरों में शुमार होगी दक्षिणी दिल्ली

केंद्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 के तहत चार हजार से अधिक शहरी स्थानीय निकायों में सर्वेक्षण किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने इनमें से 32वां स्थान हासिल किया है। पिछले वर्ष यह 202वें पायदान पर था। इतनी ऊंची छलांग लगाने से दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों से लेकर नेताओं में खुशी की लहर है। एक वर्ष के भीतर 170 स्थान की छलांग लगाने के पीछे क्या नीतियां रहीं और अब इसे शीर्ष दस में शामिल कराने के लिए क्या कार्य किया जाएगा, इन बिंदुओं पर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के महापौर नरेंद्र चावला से वरिष्ठ संवाददाता निहाल सिंह ने बात की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश…

1. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने ऐसा क्या कर दिया कि स्वच्छता रैकिंग में 202 से यह 32वें स्थान पर पहुंच गया? 

-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरणा लेते हुए पिछले वर्ष निगम के आयुक्त और महापौर ने स्वच्छता रैंकिंग में शीर्ष 25 में आने का लक्ष्य रखा था। तभी से इसके लिए कोशिशें शुरू कर दी गईं। लक्ष्य को पाने के लिए अधिकारियों की टीम बनाकर स्वच्छता के हर पहलू पर गंभीरता से कार्य किया गया। इसमें निगम ने 164 सामुदायिक शौचालय, 34 सार्वजनिक शौचालय और 369 भारतीय शैली के घरेलू शौचालय बनाए। इसके अलावा 400 सामुदायिक शौचालयों में नागरिकों के फीडबैक पर आधारित निगरानी व्यवस्था शुरू की गई। शौचालयों में पानी की कमी या फिर गंदगी की जानकारी शौचालयों का उपयोग करने वाले नागरिकों से ही ली जाती है। इससे हम शौचालयों की सफाई दुरुस्त करने से लेकर जनता को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने में कुछ हद तक सफल हुए, जिसकी वजह से हमें 32वां स्थान मिला।

2. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की स्वच्छता रैंकिंग 32 है, जबकि लक्ष्य शीर्ष 25 में शामिल होने का था, कहां कम रह गई?

– जब कोई परीक्षार्थी परीक्षा में बैठता है तो उसका लक्ष्य 100 में से 100 अंक लाने का होता है। लेकिन, कई बार विभिन्न कारणों से 90 अंक आते हैं तो कई बार 98 अंक आते हैं, लेकिन वह मेहनत पूरी करता है। इसी तरह हमने शीर्ष 25 में आने का लक्ष्य रखा था। इस बार हम शीर्ष 25 में नहीं पहुंचे हैं, लेकिन उसके नजदीक जरूर पहुंच गए हैं। अब हमने शीर्ष 10 में पहुंचने का लक्ष्य रखा है, मुङो यकीन है कि अगले वर्ष हम इसे हासिल कर लेंगे।

3. नगर निगम स्वच्छता की बात करता है, लेकिन निगम के पास इसके लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है तो कैसे आप गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग कर सकते हैं। अब भी घरों में लोग एक ही कूड़ेदान का उपयोग करते हैं?

-किसी भी निकाय में स्वच्छता के लिए लोगों में जागरूकता के साथ सजगता का होना बहुत जरूरी है। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का कार्य लोगों को जागरूक और स्वच्छता के प्रति सजग बनाना है। इसके लिए रेडियो और समाचार पत्रों में हम विज्ञापन के जरिये लोगों से गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग करने की अपील करते हैं। हमें लोगों के व्यवहार को बदलने का कार्य करना है। बाजारों में हमने पांच हजार हरे व नीले कूड़ेदान लगाए हैं। इससे लोगों में गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग करने के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।

4. दक्षिणी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में अब भी गंदगी दिखाई देती है, आखिर क्या कारण है जो नियमित तौर पर सफाई नहीं हो पाती है?

-स्वच्छता एक निरंतर चलने वाला कार्य है। एक दिन सफाई न हो तो दूसरे दिन वहीं गंदगी का ढेर दिखाई देने लगता है। दिल्ली में लगातार आबादी बढ़ रही है, ऐसे में लोगों का जागरूक होना अत्यंत जरूरी है। हम कोशिश कर रहे हैं कि घर-घर से कूड़ा उठाने का कार्य किया जाए। इसके लिए 3037 कूड़ा बीनने वालों को प्रशिक्षित किया गया है। जब घर-घर से कूड़ा उठाने का कार्य हो जाएगा तो यह गंदगी की समस्या भी खत्म हो जाएगी। हम दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को डलाव मुक्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

5. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) जैसा बनने में क्या चुनौतियां हैं?

-दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पास सीमित बजट है। हमें कई मदों में बजट के लिए दिल्ली सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है, लेकि न दिल्ली सरकार नगर निगमों को पंगु बनाने की नीति से कार्य कर रही है। इसकी वजह से न केवल निगमों का बकाया फंड जारी नहीं किया जा रहा है, बल्कि कई मदों में फंड काटा भी जा रहा है। अगर दिल्ली सरकार हमारे बकाए फंड को जारी कर दे तो हम दक्षिणी निगम को और बेहतर बना पाएंगे। हालांकि दक्षिणी निगम का इलाका एनडीएमसी से बड़ा है। साथ ही जनसंख्या भी ज्यादा है। ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों को जागरूक करने के साथ उन्हें स्वच्छता के लिए सजग बनाना एक बड़ी चुनौती है।

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