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बिहार: LJP सांसद का बड़ा बयान- गठबंधन टूटेगा तो टूटे, हम अपनी सीट से ही लड़ेंगे चुनाव

बिहार के मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से लोजपा सांसद वीणा देवी ने कहा है कि वह 2019 में मुंगेर सीट से ही चुनाव लड़ेंगी। वे मुंगेर सीट छोडऩे वाली नहीं हैं। गठबंधन जदयू के लिए मजबूरी है, भाजपा के लिए नहीं। गठबंधन टूटे तो टूटे। मंगलवार को मीडिया से बातचीत में वीणा देवी ने कहा कि इस बार भी भारी बहुमत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दिल्ली में एनडीए की सरकार बनेगी। एनडीए का देशव्यापी चेहरा कोई और नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे, हैं और रहेंगे।

पटना से जुड़ी है मुंगेर की राजनीतिक जमीन

पटना जिले के बाढ़ से मुंगेर संसदीय क्षेत्र की सीमा प्रारंभ हो जाती है। लोकसभा चुनाव 2019 में अभी काफी समय है, लेकिन ऐसी बयानबाजी से यहां का राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। जदयू के एनडीए का हिस्सा बनने के बाद से ही मुंगेर संसदीय सीट को लेकर कयासबाजी का दौर जारी है।

ललन सिंह 2009 में मुंगेर से जीते थे। उन्होंने राजद के रामबदन राय को हराया था। वहीं पिछले चुनाव में वीणा देवी का मुकाबला जदयू प्रत्याशी राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से था। 2014 में मोदी लहर पर सवार लोजपा प्रत्याशी वीणा देवी ने ललन सिंह को एक लाख नौ हजार 84 मतों से हरा दिया। वीणा देवी लोजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सूरजभान की पत्नी हैं। तीसरे स्थान पर राजद प्रत्याशी प्रगति मेहता थे।

वीणा देवी को आशंका है कि जदयू के एनडीए में शामिल होने के बाद अगर यह सीट जदयू ने मांगी, तो उनका टिकट कट सकता है। इसीलिए उन्होंने पहले ही मोर्चा खोल दिया है। वैसे, वीणा देवी को उम्मीद है कि सूरजभान को काफी महत्व देने वाले लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान इस सीट के लिए एनडीए में मजबूती से उनका पक्ष रखेंगे। 

हम के वृषिण पटेल, कांग्रेस के अखिलेश भी हैं दौड़ में

महागठबंधन में भी मुंगेर सीट को लेकर उठापटक है। राजद के सहयोगी बने हम के प्रदेश अध्यक्ष वृषिण पटेल ने भी मुंगेर आकर चुनाव लडऩे की घोषणा की है। वृषिण पटेल लगातार अपने स्वजातीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से संपर्क साध रहे हैं।

चर्चा यह भी है कि कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह भी यहां से चुनाव लड़ सकते हैं। अखिलेश को राजद प्रमुख लालू प्रसाद का नजदीकी माना जाता है। उनके लिए राजद यह सीट कांग्रेस को दे सकती है। हालांकि, अखिलेश हाल ही में राज्यसभा के लिए चुने गए हैं, ऐसे में इस मुश्किल सीट पर वह चुनाव लडऩे का खतरा उठाएंगे, इसको लेकर संदेह है।

अखिलेश के नहीं लडऩे की स्थिति में राजद अपना उम्मीदवार उतार सकती है। 2009 में ललन सिंह से हारे रामबदन राय अब राजद में हैं। वह भी टिकट की कोशिश में जुटे हैं। राजद की ओर से 2014 में प्रत्याशी रहे प्रगति मेहता ने अबकी जदयू का दामन थाम लिया है और यहां की दौड़ से बाहर हैं।

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