Main Slideदेश

भीमा कोरेगांव जांच: शिवसेना से नाखुश पवार ने बुलाई मंत्रियों की बैठक

भीमा कोरेगांव मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपे जाने के बाद से शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच खींचतान शुरू हो गई है।

भीमा कोरेगांव मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपे जाने के बाद से शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच खींचतान शुरू हो गई है। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने उद्धव सरकार के फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए सोमवार को पार्टी के सभी 16 मंत्रियों की बैठक बुलाई है। दरअसल भीमा कोरगांव के साथ-साथ यलगार परिषद मामले की जांच एनआईए को सौंपने को लेकर शरद पवार खासे नाराज हैं।

शरद पवार ने भीमा कोरेगांव मामले की जांच पुणे पुलिस से एनआईए को सौंपे जाने पर कुछ दिन पहले कहा था कि महाराष्ट्र पुलिस में कुछ लोगों का व्यवहार आपत्तिजनक था। मैं चाहता हूं कि इन अधिकारियों की भी भूमिका की जांच हो। पवार ने कहा था कि पुलिस अधिकारियों के साथ महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों की बैठक हुई थी। इसके बाद केंद्र ने मामले को एनआईए को सौंप दिया। यह संविधान के अनुसार गलत है, क्योंकि अपराध की जांच राज्य का अधिकार क्षेत्र है।

फडणवीस ने उद्धव ठाकरे का किया धन्यवाद

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने भीमा कोरेगांव की जांच एनआईए को सौंपने पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मैं इसके लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को धन्यवाद देता हूं।  साथ ही उन्होंने कहा कि शरद पवार इस फैसले का विरोध कर रहे थे, उन्हें इस बात का डर लग रहा था कि कहीं सच सामने ना आ जाए। साथ ही फडणवीस ने सत्तारूढ़ दल शिवसेना को फिर से चुनाव लड़ने की चुनौती दी है। रविवार को देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना,एनसीपी और कांग्रेस तीनों के गठबंधन को चुनौती दी और चुनाव हराने का दावा किया।

पवार ने कहा- फडणवीस सरकार कुछ छिपाना चाहती थी

शरद पवार ने रविवार को आरोप लगाते हुए कहा था कि केंद्र ने यलगार परिषद मामले की जांच को राष्ट्रीय जांच एजेंसी को इसलिए सौंपा है क्योंकि महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार कुछ छिपाना चाहती थी। पवार इस मामले में विशेष जांच दल एसआईटी से पड़ताल करवाने की मांग कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र को यह कदम उठाने से पहले महाराष्ट्र सरकार को भरोसे में लेना चाहिए था। इस मामले में कुछ सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को माओवादियों से कथित संपर्क रखने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्होंने जलगांव में पत्रकारों से कहा कि यह केंद्र का विशेषाधिकार है कि वह यलगार परिषद मामले की जांच करे लेकिन इसके लिए राज्य को विश्वास में लिया जाना चाहिए।

Related Articles

Back to top button