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सरपंचों का चुनाव पंच नहीं, सीधे मतदाता ही करेंगे

राज्य में शहरी निकाय चुनावों की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश देने के एक दिन बाद राज्य प्रशासनिक परिषद (एसएसी) ने एक और अहम फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 में संशोधन कर दिया है।राज्य में शहरी निकाय चुनावों की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश देने के एक दिन बाद राज्य प्रशासनिक परिषद (एसएसी) ने एक और अहम फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 में संशोधन कर दिया है।   पंचायती राज को उसके मूल रूप में बहाल करने से सरपंचों का चुनाव पंच नहीं, सीधे मतदाता ही करेंगे। इसी के साथ एसएसी ने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग को पंचायत चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने के भी निर्देश दिए हैं।  संबंधित अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल एनएन वोहरा ने बुधवार दोपहर बाद एसएसी की चौथी बैठक बुलाई थी। इसमें राज्यपाल के सलाहकार बीबी व्यास, के विजय कुमार और खुर्शीद अहमद गनई के अलावा मुख्य सचिव बीवी आर सुब्रह्मण्यम ने भाग लिया। बैठक में एसएसी ने राज्य में पंचायतों के गठन के लिए उनके चुनाव कराने पर विचार विमर्श करते हुए जम्मू कश्मीर पंचायत राज अधिनियिम 1989 में उपरोक्त संशोधन करने का फैसला लिया। यह संशोधन राज्य में पंचायत राज व्यवस्था को मजबूत बनाने और उसमें सरपंचों की महत्ता और प्रतिष्ठा को बहाल करने के लिए किया गया है।   एक कानी शॉल बनाने में चार पांच महीने से लेकर पांच-छह-दस साल तक लग सकते हैं यह भी पढ़ें इससे सरपंच अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों का पूरी स्वतंत्रता और निष्पक्षता से निर्वाह करने में समर्थ रहेंगे। यह पंचायत राज व्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने के साथ-साथ स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप त्वरित विकास को सुनिश्चित करती है। प्रत्यक्ष चुनाव सरपंचों को बिचौलियों या फिर बीच के समूहों के बजाय सीधे लोगों के प्रति जिम्मेदार बनाते हैं। इसके अलावा यह संशोधन जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम में 73वें संवैधानिक संशोधन की भावना लाता है।  एसएसी ने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग को राज्य में मुख्य निर्वाचन अधिकारी (जम्मू-कश्मीर) के परामर्श से पंचायतों के चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश भी दिया है। पहले यह था प्रावधान : राज्य में सत्तासीन रही पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार ने वर्ष 2016 में राज्य पंचायती राज अधिनियम में एक संशोधन के तहत सरपंच के सीधे चुनाव के प्रावधान को समाप्त करते हुए संबंधित पंचायत हल्का के पंचों द्वारा अपने में से ही किसी एक को सरपंच बनाने का प्रावधान किया था, जिसमें एसएसी ने दोबारा संशोधन कर दिया है।

पंचायती राज को उसके मूल रूप में बहाल करने से सरपंचों का चुनाव पंच नहीं, सीधे मतदाता ही करेंगे। इसी के साथ एसएसी ने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग को पंचायत चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने के भी निर्देश दिए हैं।

संबंधित अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल एनएन वोहरा ने बुधवार दोपहर बाद एसएसी की चौथी बैठक बुलाई थी। इसमें राज्यपाल के सलाहकार बीबी व्यास, के विजय कुमार और खुर्शीद अहमद गनई के अलावा मुख्य सचिव बीवी आर सुब्रह्मण्यम ने भाग लिया। बैठक में एसएसी ने राज्य में पंचायतों के गठन के लिए उनके चुनाव कराने पर विचार विमर्श करते हुए जम्मू कश्मीर पंचायत राज अधिनियिम 1989 में उपरोक्त संशोधन करने का फैसला लिया। यह संशोधन राज्य में पंचायत राज व्यवस्था को मजबूत बनाने और उसमें सरपंचों की महत्ता और प्रतिष्ठा को बहाल करने के लिए किया गया है

इससे सरपंच अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों का पूरी स्वतंत्रता और निष्पक्षता से निर्वाह करने में समर्थ रहेंगे। यह पंचायत राज व्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने के साथ-साथ स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप त्वरित विकास को सुनिश्चित करती है। प्रत्यक्ष चुनाव सरपंचों को बिचौलियों या फिर बीच के समूहों के बजाय सीधे लोगों के प्रति जिम्मेदार बनाते हैं। इसके अलावा यह संशोधन जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम में 73वें संवैधानिक संशोधन की भावना लाता है।

एसएसी ने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग को राज्य में मुख्य निर्वाचन अधिकारी (जम्मू-कश्मीर) के परामर्श से पंचायतों के चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश भी दिया है। पहले यह था प्रावधान : राज्य में सत्तासीन रही पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार ने वर्ष 2016 में राज्य पंचायती राज अधिनियम में एक संशोधन के तहत सरपंच के सीधे चुनाव के प्रावधान को समाप्त करते हुए संबंधित पंचायत हल्का के पंचों द्वारा अपने में से ही किसी एक को सरपंच बनाने का प्रावधान किया था, जिसमें एसएसी ने दोबारा संशोधन कर दिया है।

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