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दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल पर AAP सरकार ने लगाया है ‘ब्रेक’, इसे अब मोदी सरकार देगी गति

मेट्रो के चौथे चरण की तरह दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर योजना में विलंब नहीं होगा। दिल्ली सरकार के पास 20 माह से इस परियोजना की फाइल अटकी होने के मद्देनजर केंद्र सरकार ने अब इस योजना को स्वयं ही गति देने का निर्णय लिया है। इस संबंध में नया प्रस्ताव तैयार हो चुका है और पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड के साथ बैठकों का दौर भी चल रहा है। जल्द ही इसे कैबिनेट से मंजूरी मिलने की भी संभावना है।

विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में इस कॉरिडोर की अनुमानित लागत करीब 32 हजार करोड़ आंकी गई है। इसमें पांच हजार करोड़ उत्तर प्रदेश सरकार, एक हजार करोड़ दिल्ली सरकार और छह हजार करोड़ केंद्र सरकार को देना है। 20 हजार करोड़ रुपये का ऋण लिया जाएगा।

अधिकारियों के मुताबिक, एनसीआर परिवहन निगम की बोर्ड बैठक में स्वीकृत होने के बाद दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर की डीपीआर दिसंबर 2016 में एक साथ उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली सरकार को स्वीकृति के लिए भेजी गई थी। मई 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे मंजूरी देने के कुछ माह बाद इसके लिए 250 करोड़ रुपये का बजट आवंटन भी कर दिया।

केंद्र सरकार ने भी वर्ष 2018-19 के बजट में योजना के लिए 659 करोड़ रुपये आवंटित कर दिए, जबकि 20 माह बीत जाने के बावजूद दिल्ली सरकार ने इस योजना को अभी तक सैद्धांतिक स्वीकृति भी नहीं दी है। हालांकि, एनसीआर परिवहन निगम के अधिकारी इस दौरान कई बार दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के साथ बैठक कर चुके हैं। उन्हें पूरा प्रेजेंटेशन दिखाया जा चुका है और उनके तमाम प्रश्नों का जवाब भी दिया जा चुका है। बावजूद इसके इस परियोजना को स्वीकृति नहीं मिली है। दिल्ली मेट्रो का चौथा चरण शुरू होने में भी दिल्ली सरकार के कारण ही काफी विलंब हुआ है।

केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने पिछले दिनों इस पर खासी नाराजगी जाहिर की थी, साथ ही दिल्ली सरकार को यह चेतावनी भी दी थी कि केंद्र सरकार उसके बिना भी योजनाओं को आगे बढ़ा सकती है। मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि आखिरकार केंद्र सरकार ने इस योजना को अब दिल्ली सरकार के सहयोग के बिना ही आगे बढ़ाने का मन बना लिया है। इसी विचार के तहत योजना का नया प्रस्ताव बनाकर पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड को भेज दिया गया है। बोर्ड और मंत्रालय के अधिकारियों की इस दिशा में बैठकें भी चल रही हैं।

बताया जा रहा है कि बहुत ही जल्द इस प्रस्ताव को वित्तीय स्वीकृति के लिए कैबिनेट में भी लाया जाएगा। अगस्त माह में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर सितंबर माह में इसके निर्माण कार्य का शिलान्यास किए जाने की भी योजना है।

एनसीआर परिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि जुलाई 2018 में काम शुरू होगा, तभी अगले साढ़े पांच वर्ष में यह योजना पूरी हो पाएगी। पहले चरण के दौरान साढ़े चार साल में दक्षिणी मेरठ से साहिबाबाद तक के कॉरिडोर पर परिचालन शुरू होना है, जबकि अगले एक साल में कॉरिडोर पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा। केंद्र सरकार के निर्णय पर दिल्ली सरकार से भी उसका पक्ष जानने का प्रयास किया गया, लेकिन वहां से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर एक नजर में

92.6 किमी प्रस्तावित है मेरठ-दिल्ली रैपिड रेल कॉरिडोर की लंबाई

73.40 किमी ट्रैक होगा एलिवेटेड

19.2 किमी ट्रैक होगा भूमिगत

160 किमी प्रति घटा अधिकतम और 100 प्रति घटा होगी रैपिड रेल की न्यून्तम रफ्तार

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