जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगने के बाद कामकाज में आया सुधार, लिए गए कई अहम फैसले
जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन में प्रशासन के कामकाज में सुधार दिखने लगा है। सबसे अहम सुधार बायोमीट्रिक हाजिरी सिस्टम के कारण हो रहा है क्योंकि कर्मचारियों की उपस्थिति नियमित हो रही है। भाजपा की तरफ से 19 जून को पीडीपी से समर्थन वापस लिए जाने के बाद पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार गिर गई थी। महबूबा मुफ्ती ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। उसके बाद तत्काल से राज्य में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया।
एनएन वोहरा के राज्यपाल रहते जम्मू कश्मीर में चौथी बार और आज तक आठवीं बार राज्यपाल शासन लगा। राज्यपाल शासन को एक महीना पूरा हुआ है लेकिन एक महीने के दौरान राज्यपाल की तरफ से कई अहम फैसले किए। इनमें अधिकतर ऐसे फैसले थे जो पूर्व गठबंधन सरकार सवा तीन साल में भी नहीं कर पाई। पिछले बार राज्यपाल शासन के दौरान लिए गए फैसलों की फाइलें बाहर आई और उन पर काम शुरू हो गया। सबसे अहम था कि सभी सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों को जवाबदेह बनाने और ड्यूटी को निष्ठा से निभाने के लिए बायोमीट्रिक हाजिरी सिस्टम को अनिवार्य करना।
आदेश था अगर ऐसा नहीं हुआ तो वेतन नहीं मिलेगा। आनन फानन में कार्यालयों में बायोमीट्रिक मशीने लगनी शुरु हुई। एक महीने में ही अस्सी प्रतिशत से अधिक बायोमीट्रिक उपकरण लग चुके है। कर्मचारी समय पर कार्यालय पहुंचते है और समय पर ही छुट्टी करते है। लोगों के काम होने में तेजी आई है। विकास प्रोजेक्टों पर तेजी के साथ काम हो रहा है। लम्बे अर्से से लंबित पड़े पंचायत व स्थानीय निकाय चुनाव करवाने की तैयारियां करने के निर्देश भी राज्यपाल ने दे दिए है। सरपंचों को नामांकित करने के पूर्व राज्य सरकार के फैसले को राज्यपाल ने पलट दिया है।
लिए गए अहम फैसले –
पंचायत चुनाव में अब लोग चुनेंगे सरपंच। पूर्व पीडीपी-भाजपा सरकार ने पंचायत राज अधिनियम में संशोधन कर फैसला किया था कि सरपंच नामांकित किए जाएंगे। इस फैसले का विपक्ष विशेषकर कांग्रेस ने पुरजोर विरोध किया था।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती के लिए नहीं होंगे साक्षात्कार।
क्रॉस एलओसी ट्रेड में शामिल संदिग्ध चरित्र वाले व्यापारियों का पंजीकरण रद्द होगा।
सभी सरकारी कार्यालयों में बायोमीट्रिक हाजिरी को अनिवार्य किया गया।
पंचायत चुनाव और स्थानीय निकाय चुनाव करवाने का फैसला। तैयारियां करने के निर्देश दिए।
एसआरओ 43 के लंबित मामलों के जल्द निपटारे के आदेश।
सरकारी कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए बनाई गई कमेटी।
उज्ज परियोजना को मंजूरी। 4500 करोड़ रुपये की इस परियोजना से 186 मेगावाट बिजली उत्पादन होगा।
शिकायत सैल को लोगों की समस्याओं को दूर करने का जरिया बनाया।
बड़े प्रशासनिक फेरबदल।
सभी विभागों में कर्मचारियों की अटैचमेंट समाप्त करने के निर्देश।
शिकायत सैल सक्रियलोगों का रुझान राज्यपाल शिकायत सैल में शिकायतें भेजने की तरफ काफी बढ़ गया है। राज्यपाल के सख्त निर्देश हैं कि निर्धारित समय के भीतर शिकायतों का निपटारा किया जाए। राज्यपाल के शिकायत सैल में 4389 शिकायतें आई थीं जिसमें 3658 का निपटारा हो चुका है। 1706 पर काम हो रहा है। राज्यपाल के सचिवालय वाले शिकायत सैल में भी शिकायतें आ रही है।