पंजाब में टूटने की कगार पर आम आदमी पार्टी, केजरीवाल के पास पहुंचा बवाल
आम आदमी पार्टी (AAP) की पंजाब में चल रही रार को दूर करने के लिए रविवार को दिल्ली में पंजाब प्रभारी व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर चली बैठक बेनतीजा रही। पार्टी के असंतुष्ट सदस्यों ने सुलह के लिए सुखपाल सिंह खैहरा को फिर से पंजाब में विपक्ष का नेता बनाए जाने की मांग रखी, जिसे सिसोदिया ने खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि हरपाल सिंह चीमा ही विपक्ष के नेता रहेंगे। वहीं असंतुष्ट विधायक खैहरा को फिर से जिम्मेदारी देने की मांग कर रहे थे। लेकिन, इसपर एक राय नहीं बन सकी। नाराज गुट के कंवर संधु ने कहा कि बठिंडा में दो अगस्त को होने वाला सम्मेलन होगा। पार्टी के नाराज नेता सुखपाल सिंह खैहरा रविवार शाम दूसरी बार हुई सिसोदिया के यहां बैठक में देर रात शामिल हुए। बैठक में नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा उपस्थित नहीं थे।
बैठक में शामिल एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पहले बैठक छह बजे होनी थी, लेकिन अपरिहार्य कारणों से इसमें विलंब हुआ। बैठक में पंजाब में चल रही पार्टी की आंतरिक कलह को दूर किए जाने और पार्टी में विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखने के लिए वरिष्ठ पदाधिकारियों व नेताओं से कहा गया। उल्लेखनीय है कि पार्टी ने हाल ही में नेता प्रतिपक्ष के रूप में वरिष्ठ नेता खैहरा को हटाकर हरपाल सिंह चीमा को नियुक्त किया है।
उधर, आम आदमी पार्टी के विधायक सुखपाल सिंह खैहरा के खिलाफ पार्टी अनुशासनहीनता के आरोप में कार्रवाई कर सकती है। वहीं खैहरा ने आरोप लगाया कि दिल्ली के नेता पंजाब के सभी विधायकों को धमका रहे हैं। विधायकों को दिल्ली के नेता कह रहे हैं, खैहरा का साथ नहीं छोड़ा तो अगली बार आपको टिकट नहीं देंगे, झूठे केस में फंसा देंगे। इस बार विधानसभा सदस्यता रद करवा देंगे।
खैहरा ने कहा कि पार्टी कहती थी कि सभी को साथ लेकर काम किया जाएगा, लेकिन उन्हें नेता प्रतिपक्ष से हटाने से पहले 20 विधायकों में से किसी की भी राय नहीं ली गई। नेता प्रतिपक्ष से हटाए जाने के बाद से सुखपाल खैहरा ने दिल्ली नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उनके साथ आठ विधायक हैं। उम्मीद है कि पहले इन विधायकों को दिल्ली में अनुशासन का पाठ पढ़ाया जाएगा। इसके बाद भी अगर वे नहीं मानते हैं तो इनके खिलाफ पार्टी अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है।
बेअदबी मामले में हाईकमान ने मना किया था
खैहरा ने कहा कि जब उन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी पर अपना विरोध जताया था तो पार्टी हाईकमान ने उन्हें ऐसा करने से मना किया था। वहीं आम आदमी पार्टी के अलग-अलग देशों के पदाधिकारियों ने सुखपाल खैहरा को समर्थन किया है। पार्टी हाईकमान की ओर से कहा जाता था कि हम लिफाफे वाली राजनीति नहीं करेंगे, लेकिन अब ट्विटर की राजनीति हो रही है और ट्वीट कर फैसले सुनाए जा रहे हैं।