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लोकसभा चुनाव से पहले बड़े प्रशासनिक फेरबदल की तैयारी में सरकार

कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव के बाद सरकार 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से जमीन सजाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए फील्ड से शासन तक के अधिकारियों की तैनाती में बड़े बदलाव के संकेत हैं।

योगी सरकार अपने कार्यकाल का एक साल पूरा कर चुकी है। इस बीच सरकार को अफसरों के कामकाज को लेकर विभिन्न स्तर से फीडबैक मिले हैं। कई अफसरों के बारे में शिकायत है कि वे जनता के प्रति जवाबदेही से बेपरवाह हैं। सत्ताधारी दल के चुनिंदा लोगों का विश्वास हासिल कर वे मनमानी कर रहे हैं।

फील्ड के कई अफसरों पर क्षेत्रीय सांसद की कठपुतली बने होने का आरोप है तो कहीं प्रभारी मंत्री के सिवा किसी की न सुनने की शिकायत है। मुख्य सचिव की समीक्षा में ये बातें सामने भी आ चुकी हैं कि जनसुनवाई पोर्टल की शिकायतों के निस्तारण की गुणवत्ता 80 प्रतिशत तक खराब है। शिकायत ये भी है कि अहम पदों पर बैठे अफसर अब तक योगी सरकार की रीति-नीति में नहीं ढल पाए हैं।

इन्हीं फीडबैक के आधार पर शासन अफसरों की तैनाती में फेरबदल की तैयारी में है। विभागों में विभिन्न संवर्गों के अलावा पीसीएस अफसरों के काफी तबादले हो चुके हैं। लेकिन अब बारी कलेक्टर, कमिश्नर और अन्य प्रमुख अधिकारियों के अलावा शासन में वरिष्ठ अफसरों के तबादलों की है।

तबादलों में इस पर भी होगी नजर

गोरखपुर और बस्ती ऐसे मंडल हैं जहां योगी सरकार के एक साल बीतने के बाद भी पिछली सरकार में तैनात मंडलायुक्त ही तैनात हैं। गोरखपुर में अनिल कुमार तृतीय व बस्ती में दिनेश कुमार सिंह की तैनाती है। पश्चिम के एक मंडल के कमिश्नर अपने तबादले के लिए निजी स्तर पर प्रयासरत हैं। इसी तरह सरकार आगरा के डीएम को नहीं बदल पाई है। गौरव दयाल 2016 से ही आगरा के डीएम हैं। कई दूसरे जिलों के डीएम की कार्यप्रणाली को लेकर भी शिकायतें हैं।

एक अफसर का विकल्प बना सिरदर्द
1983 बैच के आईएएस अधिकारी राज प्रताप सिंह सरकार के भरोसे के अफसरों में शामिल हैं। सरकार ने उन्हें कृषि उत्पादन आयुक्त जैसे अहम पद के साथ अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा और भूतत्व एवं खनिकर्म जैसे विभाग की जिम्मेदारी दे रखी है। सिंह का रिटायरमेंट जुलाई में है, लेकिन उनका चयन विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन पद के लिए हो चुका है। वह वीआरएस के लिए आवेदन कर चुके हैं।

ऐसे में सरकार के सामने सिंह द्वारा एक साथ देखे जा रहे तीनों अहम पदों के लिए उसी कसौटी वाले अफसर की तलाश किसी चुनौती से कम नहीं है। इसके अलावा कई अन्य अफसरों के पास कई-कई विभागों का प्रभार है। इसका असर फील्ड में काम पर साफ नजर आ रहा है। नए तबादलों में काम के बोझ से दबे अफसरों का भार कम किया जा सकता है। इस पर भी माथापच्ची हो रही है।

पुलिस विभाग में भी होंगे बड़े अफसरों के तबादले

पुलिस विभाग में भी एसपी से लेकर आईजी रैंक तक के अफसरों के तबादले की तैयारी है। डीजीपी मुख्यालय और गृह विभाग ने मंथन शुरू कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि अभी तक कैराना और नूरपुर उपचुनाव की वजह से ये तबादले नहीं किए जा रहे थे। सोमवार को उपचुनाव होने के बाद किसी दिन भी स्थानांतरण सूची जारी की जा सकती है।
सूत्रों के मुताबिक जिन अफसरों के तबादले होने हैं उसमें पांच डीआईजी और तीन एसपी शामिल हैं। बस्ती और झांसी में नए डीआईजी की तैनाती की तैयारी है। इसमें बस्ती के डीआईजी 30 अप्रैल को रिटायर हो चुके हैं जबकि झांसी के डीआईजी रिटायर होने वाले हैं। इन दोनों स्थानों पर नई तैनाती होगी।

वहीं मार्च में प्रमोशन पाए कानपुर देहात के एसपी रमाकांत पांडेय अब डीआईजी हो चुके हैं और कासगंज में पीयूष श्रीवास्तव भी एसपी से डीआईजी हो चुके हैं। फतेहगढ़ के एसपी मृगेंद्र सिंह का भी प्रमोशन हो चुका है। ऐसे में इन अधिकारियों का हटना तय है।

वहीं, सूत्रों के मुताबिक अब प्रदेश में डीआईजी की संख्या पर्याप्त हो गई है। ऐसे में छोटे रेंज में वापस डीआईजी भेजे जा सकते हैं। फिलहाल जोनल मुख्यालय के अतिरिक्त तीन रेंज ऐसी है, जहां डीआईजी के स्थान पर आईजी तैनात हैं। इसमें अलीगढ़, मुरादाबाद और मिर्जापुर शामिल हैं।

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