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देवरिया कांड पर सरकार ने मानी जिला प्रशासन की लापरवाही, पूर्ववर्ती सपा-बसपा सरकार पर लगाया आरोप

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने देवरिया में बच्चियों से कथित तौर पर जबरन वेश्यावृत्ति कराये जाने के खुलासे के बाद सवालों से घिरे बालिका संरक्षण गृह और स्थानीय प्रशासन के बीच सांठगांठ की ओर इशारा करते हुए आज कहा कि इस गृह को बंद करने के आदेश के बारे में शासन-प्रशासन को मालूम था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. साथ ही उन्‍होंने प्रदेश की पूर्ववर्ती बसपा, सपा सरकारों पर देवरिया में लड़कियों से जबरन वेश्यावृत्ति कराये जाने के आरोप में घिरे बालिका संरक्षण गृह की संचालक संस्था को पोषित करने का आरोप लगाया है.

प्रदेश की महिला एवं परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने संवाददाताओं को बताया कि देवरिया में हुई घटना की जांच के लिए गई उनके विभाग की प्रमुख सचिव रेणुका कुमार और अपर पुलिस महानिदेशक (महिला हेल्पलाइन) अंजू गुप्ता की टीम ने पड़ताल की कि जब महकमे ने जून 2017 में इसे बंद करने का नोटिस देकर जिलाधिकारी को जानकारी दी थी तो उसके बावजूद वहां किन हालात में बच्चों को भेजा गया. मंत्री ने कहा कि देवरिया के जिलाधिकारी को संरक्षण गृह बंद करने और उनमें रह रहे बच्चों को दूसरी जगह भेजने के लिए कम से कम 15 नोटिस दिए गए. निदेशालय से पांच पत्र भेजे गये. निश्चित रूप से स्थानीय स्तर पर लापरवाही हुई है.

जांच रिपोर्ट आज शाम सीएम तक पहुँचेगी

उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन को साफ मालूम था कि इसे बंद कर दिया गया है. इस बात की जांच की गई है कि जिलाधिकारी को भेजे गये पत्रों पर कार्रवाई हुई या नहीं. जिला प्रोबेशन अधिकारी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी के रिकार्ड की भी जांच की जा रही है कि उन्होंने इस मामले में कितनी गम्भीरता दिखायी. बहरहाल, यह लापरवाही थी या साठगांठ, इस बारे में जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता लगेगा. यह रिपोर्ट आज शाम मुख्यमंत्री के पास पहुंचेगी.

जांच टीम ने बच्‍चों के लिए अलग-अलग बयान

रीता ने बताया कि जांच टीम ने विस्तृत तफ्तीश की. उसने संरक्षण गृह में रहने वाले बच्चों के अलग-अलग बयान लिये. साथ ही सारे रिकार्ड की जांच की. रिकार्ड में और जो कुछ संस्था के लोग कह रहे हैं, उनमें कोई तालमेल नहीं मिल रहा है. जब इस संरक्षण गृह को बंद करने के आदेश दिये गये थे तब उसमें 28 बच्चे थे, मगर अब 23 हैं. इनमें 20 लड़कियां और तीन लड़के हैं. संस्था संचालक का कहना है कि उनके यहां 42 बच्चे थे. बाकी बच्चों का पता लगाया जा रहा है. अगले 24 से 48 घंटे में पता लग जाएगा.

पूर्ववर्ती सपा और बसपा सरकार पर लगाया आरोप

मंत्री ने कहा कि सरकार ने इस मामले का खुलासा होने के बाद तत्परता से बिल्कुल निष्पक्ष कार्रवाई की है. मैं आश्वस्त कराना चाहती हूं कि परोक्ष प्रत्यक्ष रूप से जुड़े किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा. रीता ने प्रदेश की पूर्ववर्ती बसपा, सपा सरकारों पर देवरिया में लड़कियों से जबरन वेश्यावृत्ति कराये जाने के आरोप में घिरे बालिका संरक्षण गृह की संचालक संस्था को पोषित करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि संस्था ‘मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान’ को वर्ष 2010 में सरकारी काम मिला था. उस वक्त प्रदेश में बसपा की सरकार थी. वर्ष 2010 से 2014 के बीच इस संस्था को बालिका बाल गृह, शिशु गृह, स्वधार गृह, अडॉप्शन होम वगैरह काम दे दिये गये. उस वक्त बसपा और सपा की सरकारें थीं.

सपा सरकार के कार्यकाल में बनी कमेटियां: रीता

मंत्री ने कहा कि चाइल्ड वर्किंग कमेटी को बाल गृहों की समीक्षा और मुआयने की जिम्मेदारी दी जाती है. ये सारी कमेटियां पिछली सपा सरकार के शासनकाल में गठित कर दी गयी थीं. सपा, बसपा के कार्यकाल में इतने गलत लोगों को इन समितियों में रखा गया था. हम 70 लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज सपा के लोग वहां पर धरना प्रदर्शन करने गये हैं. जिन लोगों ने खुद गलत काम किये वे लोग आज कह रहे हैं कि हम संवेदनहीन हैं. अगर हम संवेदनहीन होते तो क्या उस संरक्षण गृह की संचालक संस्था को नोटिस जारी करते? क्या हम उनके खिलाफ मुकदमा लिखवाते?

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