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गोरखपुर एवं वाराणसी मण्डल में मण्डल स्तर पर एकीकृत कार्यालय परिसर के निर्माण के प्रस्ताव को स्वीकृति

मंत्रिपरिषद ने गोरखपुर एवं वाराणसी मण्डल में मण्डल स्तर पर एकीकृत कार्यालय परिसर के निर्माण के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। साथ ही, योजना के क्रियान्वयन में किसी संशोधन की आवश्यकता का अनुभव होता है, तो उसके लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।

एकीकृत मण्डलीय कार्यालय निर्माण से मण्डल स्तर पर स्थित विभिन्न सरकारी कार्यालय एक ही परिसर में स्थानान्तरित होकर कार्य कर सकेंगे, जिससे न केवल आना-जाना आसान होगा, अपितु तकनीकी सुविधाओं से युक्त होने के कारण कार्यालय वातावरण भी कार्य के सुचारु रूप से संचालन हेतु उपयुक्त हो सकेगा।

वर्तमान में विभिन्न मण्डलों में स्थित मण्डलायुक्त कार्यालयों पर विभिन्न मण्डलीय कार्यालयों से आना-जाना समय-साध्य एवं व्यय साध्य है। मण्डलीय कार्यालय विभिन्न स्थान पर संचालित होने के कारण इनके मध्य समन्वय भी ठीक से नहीं हो पाता है। मण्डल स्तरीय कार्यालयों में स्थान की आवश्यकता एवं उपलब्धता में असमानता के साथ-साथ नवीन तकनीकी सुविधाओं का भी अभाव है।

अधिकांश कार्यालय किराये के भवन में चल रहे हैं अथवा कार्यालय भवनों की स्थिति जीर्ण-शीर्ण है, जिससे कि कार्यालय वातावरण भी प्रभावित होता है।
इन समस्याओं के समाधान के लिए ही मण्डल स्तर पर एकीकृत मण्डलीय कार्यालय निर्माण की परिकल्पना की गयी है, जिसमें पायलट प्रोजेक्ट के रूप में गोरखपुर एवं वाराणसी मण्डल में स्थित मण्डलीय कार्यालयों को लिया गया है।

इन कार्यालयों के निर्माण हेतु सम्बन्धित प्राधिकरणों को नोडल एजेन्सी बनाया जाएगा तथा उन्हें नियमानुसार सेण्टेज चार्ज अनुमन्य होगा। इन कार्यालयों के सम्बन्ध में नियमानुसार निस्तारण/निर्णय लेने हेतु मण्डल स्तरीय/राज्य स्तरीय समितियों का गठन किया जाएगा। इन परियोजनाओं के डी0पी0आर0 तैयार किए जाने हेतु प्राधिकरणों द्वारा यथावश्यक उपयुक्त कन्सल्टेण्ट का चयन किया जाएगा।

परियोजना पर शीघ्र कार्य प्रारम्भ कर सुचारु रूप से शीघ्र पूर्ण किए जाने हेतु बजट में प्राविधान किए जाने, जिसकी प्रतिपूर्ति भूमि मुद्रीकरण से प्राप्त होने वाली धनराशि से की जा सकेगी, की व्यवस्था की गयी है।

इन कार्यालयों के निर्माण हेतु सीड कैपिटल के रूप में 25-25 करोड़ रुपए की बजट व्यवस्था कराए जाने तथा दोनों परियोजनाओं का क्रियान्वयन सरकारी/नजूल भूमि/अन्य चिन्हित भूमि के मुद्रीकरण के आधार पर कराए जाने की व्यवस्था की जा रही है। भूमि मुद्रीकरण के लिए चिन्हित तथा भविष्य में चिन्हित होने वाली भूमि को यथावश्यक वाणिज्यिक/अन्य उपयुक्त भू-उपयोग में बदलने हेतु सैद्धान्तिक स्वीकृति व इस हेतु समस्त शुल्कों से छूट दिए जाने की व्यवस्था की गयी है।

प्रश्नगत प्रस्ताव के फलस्वरूप राज्य सरकार पर तात्कालिक रूप से वित्तीय व्यय भार आएगा, जिसकी प्रतिपूर्ति भूमि के मुद्रीकरण से भविष्य में किए जाने की व्यवस्था है।

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