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इमरान और मोदी एक साथ होकर कूटनीतिक कल्पनाशीलता से निकाल सकते हैं नया रास्ता

इमरान खान का पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनना दोनों पड़ोसियों के लिए रिश्ते सुधारने का अच्छा मौका साबित हो सकता है। बशर्ते इमरान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कूटनीति की नई कल्पनाशीलता के साथ आउट ऑफ दि बॉक्स विचार रखें। यह एक भ्रांति है कि इमरान वहां की सेना के दबाव में काम करेंगे। लिहाजा फिलहाल किसी भी पूर्वाग्रह केसाथ आगे बढना एक अच्छे मौकेको गंवाने जैसा होगा।  इमरान ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के पढ़े हुए आधुनिक सोंच के व्यक्ति हैं। वह एक क्रिकेटर हैं और अपने देश के लिए विश्वकप हासिल किया है। जहां तक मेरा मानना है इमरान अपने मर्जी के मालिक हैं। वह एक हद केबाद किसी के दबाव में काम नहीं करेंगे। भारत को भी यह उम्मीद रखनी चाहिए। उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए राजनीतिक जीवन में 22 साल मेहनत की है।

जाहिर है उनके जहन में अपने देश केलिए कुछ ठोस योजनाएं होंगी। भारत और पाकिस्तान दोनों केलिए यह अटल सत्य है कि कुछ भी बदल जाए दोनों देशों का भूगोल नहीं बदल सकता। लिहाजा आज नहीं तो कल दोनों देशों को मिलकर ही बीच का रास्ता निकालना होगा। अब आजादी के बाद पैदा हुए दोनों प्रधानमंत्री इस मौकेका सकारात्मक इस्तेमाल कर सकते हैं।  

अगर यह मान भी लिया जाए कि इमरान खान अपनी सेना के दबाव में काम करेंगे तो इसमें हर्ज क्या है। यह समस्या भारत की कम उनकी ज्यादा है। भारत तो सीधे वहां की चुनी हुई सरकार से बातचीत करेगा। अब भारत की पहल पर बतौर प्रधानमंत्री इमरान खान कैसा रुख रखते हैं यह  उनकी सिरदर्दी है। सवाल यह है कि दोनों प्रधानमंत्री किस आधार पर बातचीत शुरु करते हैं। दोनों देशों को नई ताजगी के साथ एक दूसरे को मौका देना होगा।  

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