LIVE TVMain Slideदेशव्यापार

पैरंेट कम्पनी एवं सब्सिडियरी कम्पनी के बीच अचल सम्पत्ति के हस्तानान्तरण

तत्कालीन संयुक्त प्रांतीय सरकार द्वारा भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा-9 के प्रावधानों के अधीन 25 मार्च 1942 को वित्त विभाग द्वारा अधिसूचना जारी करके पैरंेट कम्पनी एवं सब्सिडियरी कम्पनी के बीच अचल सम्पत्ति के हस्तानान्तरण विलेख पर देय स्टाम्प शुल्क में छूट प्रदान की गयी थी।

राज्य सरकार को ऐसे प्रकरण संज्ञान में आये हैं कि इस 1942 की अधिसूचना के प्रस्तर-54 में प्रदत्त स्टाम्प शुल्क की छूट का लाभ लेते हुए कम्पनियों द्वारा प्रावधानों का दुरूपयोग किया जा रहा है।

इसको दृृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार ने 25 मार्च 1942 के प्रस्तर-54 में हस्तानान्तरण विलेख पर पूर्व में दी गयी स्टाम्प शुल्क की छूट को समाप्त कर दिया है।

यह जानकारी देते हुए स्टाम्प एवं निबंधन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रवीन्द्र जासवाल ने बताया कि 25 मार्च 1942 को वित्त विभाग द्वारा जारी छूट के प्रावधानों को अचल सम्पत्ति कारोबार में लिप्त कम्पनियों, कम्पनी विधि के प्रावधानो ंका दुरूपयोग करते हुए

सब्सिडियरी कम्पनियों का सृजन केवल अचल सम्पत्ति के अंतरण हेतु कर रही है और अधिसूचना के प्रस्तर-54 में प्रदत्त स्टाम्प शुल्क की छूट का लाभ लेते हुए कर चोरी में लिप्त हैं।

इसका संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार ने इस सुविधा को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के फलस्वरूप स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग की आय में लगभग 50 करोड़ रूपये की वृद्धि का अनुमान है।

Related Articles

Back to top button