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कश्मीर से बंगाल तक परिंदा भी नहीं मार सकेगा पर, हर बॉर्डर पर चुस्त निगहबानी का जाल बिछाएगा भारत

नई दिल्ली: सीमावर्ती इलाकों में दुश्मनों की ओर से लगातार अशांति फैलाने से भारत को बेमतलब में जन-धन का नुकसान उठाना पड़ता है. खासकर चीन और पाकिस्तान वक्त-बेवक्त भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश करते रहते हैं. ये घुसपैठ के लिए ज्यादातर बॉर्डर इलाकों में बसे गांव का सहारा लेते हैं. केंद्र सरकार ने इस समस्या का स्थाई समाधान ढूंढने का फैसला लिया है. इसके लिए केंद्र ने अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करने वाले 10 राज्यों के लिए करीब 400 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की है. यह सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों की समस्याओं को हल करने की एक महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है.

बॉर्डर इलाकों के गांव का किया जाएगा समावेशी विकास
इस वित्त वर्ष में अब तक जारी की गई धनराशि 17 राज्यों में अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर स्थित गांवों के समावेशी विकास के लिए 2017-18 में जारी 1,100 करोड़ रुपये की निधि के अतिरिक्त है. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) के तहत 2018-19 के दौरान अभी तक जम्मू-कश्मीर, असम, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और पश्चिम बंगाल की सरकारों को 399.44 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई.

सीमा पर बसी आबादी का रखा जाएगा ख्याल

बीएडीपी के तहत अंतरराष्ट्रीय सीमा के 50 किलोमीटर के दायरे के भीतर रहने वाले लोगों के रहन-सहन पर ध्यान देने के साथ ही, सीमा पर रहने वाली आबादी की विशेष विकासात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिहाज से 17 राज्यों के 111 जिले आते हैं.

नेपाल, भूटान, म्यामां जैसे देशों के बॉर्डर पर भी रहेगी पैनी नजर
बीएडीपी योजनाओं में सीमावर्ती इलाकों में रहने योग्य स्थितियां बनाने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों का निर्माण पेयजल की आपूर्ति, संपर्क और निकास की व्यवस्था करना शामिल है. अभी तक सीमा पर रहने वाली आबादी के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के वास्ते बीएडीपी के तहत 61 मॉडल गांव विकसित किए जा रहे हैं. भारत, पाकिस्तान (3,232 किमी.), चीन (3,488), नेपाल (1,751), भूटान (699), म्यामां (1,643) और बांग्लादेश (4,096 किमी.) के साथ सीमा साझा करता है

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