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उम्र संबंधी नियम ने 13 वर्षीय ‘करामाती कन्या’ तनिष्का सुजीत को पढ़ाई के लिए करना पड़ रहा संघर्ष

महज 13 साल की उम्र में 10वीं के बाद सीधे 12वीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर कीर्तिमान रचने वाली तनिष्का सुजीत को नियम-कायदों के कारण स्नातक स्तर की कानून की पढ़ाई के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। नियम के मुताबिक उसे बीए एलएलबी पाठ्यक्रम में इसलिए प्रवेश नहीं मिल पा रहा क्योंकि उसकी उम्र 18 साल से कम है।

‘करामाती कन्या’ के रूप में मशहूर हो रही तनिष्का (13) ने शुक्रवार को बताया कि मैं बड़ी होकर शीर्ष न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश बनना चाहती हूं। इसलिए मैं कानून की पढ़ाई करना चाहती हूं। तनिष्का के पिता सुजीत की कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पिछले साल शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। होनहार छात्रा की माता अनुभा ने बताया कि वह अपनी बेटी की इच्छा के मुताबिक उसे इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के बीए एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश दिलवाना चाहती थीं। लेकिन विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए कि नियमों के मुताबिक इस पाठ्यक्रम में कम से कम 18 साल के विद्यार्थी को ही दाखिला दिया जा सकता है।

सांसद ने निशंक से मुलाकात की
इंदौर लोकसभा क्षेत्र के सांसद शंकर लालवानी ने दिल्ली से फोन पर बताया कि बीए एलएलबी पाठ्यक्रम में तनिष्का के दाखिले की विशेष अनुमति के लिए उन्होंने शुक्रवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से मुलाकात की। लालवानी ने बताया कि पोखरियाल ने मुझसे कहा कि वह पांच वर्षीय एकीकृत विधि पाठ्यक्रम में तनिष्का के दाखिले के मामले में उम्र संबंधी नियमों को शिथिल करने के बारे में पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से बात करेंगे और इसके बाद उचित निर्णय किया जाएगा।

 

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