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उत्तराखंड: समुद्र की लहरों से टकरा तीन जान बचा लाया बाजपुर का जांबाज

जज्बात ऐसे कि तूफान से टकरा जाए, धर्म ऐसा कि मानव सेवा का पुंज कहलाए, बुनियाद ऐसी की दुनिया के जुल्म से टकरा कर भी बच जाए…। ऐसी कुर्बानियां देने वाली सिख कौम के एक और जांबाज युवा ने समुद्र की लहरों के बीच से अमेरिका के नागरिकों की जान बचा ली। यह बहादुरी दिखाई बाजपुर के ग्राम बिराहा फार्म निवासी सरदार कृपाल सिंह के बेटे शिप कैप्टन अजीतपाल सिंह ने।

अजीतपाल सिंह के वृद्ध पिता कृपाल सिंह ने बताया कि उनका बेटा तीन माह की छुट्टियां बिताकर 22 मई को अमेरिका चला गया। उसे अमेरिका से बतौर शिप कैप्टन दूसरी बार नार्वे (ब्राजील) कंपनी जैकमार ऐरो का शिप लेकर भेजा गया। अजीत का शिप 25-26 मई को चल पड़ा। 30 मई को कैरेबियन सागर में एक डोमिनिकन रिपब्लिक देश के समीप जहाज के संचार तंत्र द्वारा अपातकालीन संदेश मिला, जिसमें मदद की गुहार लगाई जा रही थी। अजीत पाल ने संदेश मिलते ही उस दिशा की ओर जहाज को मोड़ दिया। जबकि उपरोक्त दिशा में समुद्र के अंदर तेज हवाओं व भयंकर समुद्री लहरों का उफान जारी था। बावजूद इसके मानव सेवाकर्म को याद करते हुए वह लगभग 30 किमी संदेश की दिशा में शिप लेकर बढ़ा। उन्होंने देखा कि एक मासूम बच्ची और उसके माता-पिता समुद्री नौका के पलटने के चलते उसकी रेलिंग से झूल रहे हैं। तत्काल अजीतपाल ने साहस का परिचय देते हुए बच्ची व उसके माता-पिता को रेस्क्यू कर लिया। मौत के मुंह से निकले अमेरिकी परिवार ने अजीतपाल को गले लगा लिया। रेस्क्यू के बाद अजीत ने यूएस कोस्ट गार्ड को सूचित किया। अजीतपाल की इस बहादुरी के लिए अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने सराहना करते हुए उन्हें सम्मान पत्र दिए जाने की बात कही। 

बेटे के काम से परिवार को बधाई

सेंटमेरी स्कूल बाजपुर में हाईस्कूल व श्रीदशमेश स्कूल में इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण कर 2004 में अजीतपाल ने मर्चेंट नेवी की तैयारी की। दिल्ली जाने के बाद पहले ही प्रयास में उसे नार्वे की कंपनी में नौकरी मिल गई। कड़ी मेहनत के बूते अजीत 2017 में कैप्टन बन गए। माता-पिता और पत्नी अजीतपाल के इस बहादुरी भरे कारनामे से फूले नहीं समा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इस जज्बे को शेयर किया है। वहीं क्षेत्र के तमाम लोग इस बहादुरी के लिए परिजनों को बधाई देने पहुंच रहे हैं। 

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