उत्तराखंडप्रदेश

नजूल भूमि को लेकर हार्इकोर्ट का बड़ा फैसला, हजारों परिवारों पर संकट

हाई कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की 2009 की नजूल नीति के तहत नजूल भूमि पर अवैध कब्जेदारों के पक्ष में फ्रीहोल्ड करने के प्रावधान को असंवैधानिक व गैरकानूनी मानते हुए रद कर दिया है। कोर्ट ने इस गैर कानूनी काम के लिए सरकार पर पांच लाख जुर्माना लगा दिया है। जुर्माने की रकम राष्ट्रीय विधि विवि के खाते में जमा होगी। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार नजूल भूमि को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराकर उसे अपने खातों में निहित करे। इस आदेश से प्रदेश के हजारों परिवारों के समक्ष बेघर होने का खतरा पैदा हो गया है।

रुद्रपुर के पूर्व सभासद रामबाबू व हाई कोर्ट के अधिवक्ता रवि जोशी ने जनहित याचिका दायर कर सरकार की पहली मार्च 2009 को जारी नजूल नीति को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार नजूल भूमि को अवैध रूप से कब्जा कर रहे लोगों के पक्ष में मामूली नजराना लेकर फ्रीहोल्ड कर रही है, जो असंवैधानिक, मनमानीपूर्ण व नियम विरुद्ध है। इसके अलावा हाई कोर्ट ने भी इस नजूल नीति का स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले को ‘इन रिफरेंस नजूल पॉलिसी ऑफ दी स्टेट फॉर डिस्पोजिंग एंड मैनेजमेंट ऑफ नजूल लैंड नाम से जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया।

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में अपने निर्णय में भी नजूल भूमि के उपयोग के लिए व्यवस्था दी है। इसके बावजूद भी सरकार नजूल भूमि का सार्वजनिक उपयोग करने के बजाय अवैध कब्जेदारों व व्यक्ति विशेष के पक्ष में कर रही है। गरीब जनता जिसको वास्तविक रूप से इस भूमि की जरूरत है, उसकी इसमें अनदेखी की जा रही है।

वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने मंगलवार को मामले को सुनने के बाद नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड करने के प्रावधान को रद करते हुए सरकार पर पांच लाख जुर्माना लगा दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार की नजूल नीति रूल ऑफ लॉ के खिलाफ है। नजूल भूमि का उपयोग सार्वजनिक हित में किया जाए।

जरूरतमंदों जिनमें बीपीएल, गरीब, एससी, एसटी, ओबीसी श्रेणी के लोग शामिल हैं, के पक्ष में नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड किया जा सकता है। कोर्ट ने माना कि सरकार की इस नीति की वजह से प्रदेश के करीब 20 हजार एकड़ नजूल भूमि अवैध कब्जेदारों के पक्ष में फ्रीहोल्ड की गई है। अकेले रुद्रपुर नगर निगम क्षेत्र में 1900 एकड़ नजूल भूमि को फ्री होल्ड किया गया है। कोर्ट के इस फैसले से काशीपुर, रामनगर समेत अन्य निकायों में फ्रीहोल्ड करा चुके हजारों कब्जेदारों के बेघर होने का खतरा पैदा हो गया है।

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