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जवानी से लड़ रहा हूं अयोध्या केस, अब उम्र 80 पार’, याचिकाकर्ता की SC से गुहार

सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत में मध्यस्थता को तुरंत रोककर फैसला सुनाने के लिए कहा गया था. लेकिन अदालत ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अदालत से एक गुहार लगाई, जिसमें कहा कि अयोध्या विवाद जब शुरू हुआ था तब वह जवान थे, लेकिन अब उम्र 80 के पार हो गई है. इसलिए अब अदालत को इस पर फैसला जल्द सुना देना चाहिए.

दरअसल, निर्मोही अखाड़ा ने अदालत में मध्यस्थता के खिलाफ याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि ये मामला 1950 से चल रहा है, मध्यस्थता से हल मुश्किल ही निकल पाएगा. अब 60 साल से अधिक का समय हो गया है.

वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जब केस की शुरुआत की थी तो वह काफी जवान था, लेकिन अब उम्र 80 साल के पार हो गई है. लेकिन मामला अभी तक सुलझ ही नहीं पाया है. निर्मोही अखाड़े ने बार-बार अदालत से यही बात कही कि मध्यस्थता पैनल सिर्फ वन टू वन मीटिंग के अलावा कुछ नहीं कर रहा है. ऐसे में हम नतीजे की तरफ कैसे बढ़ते दिख रहे हैं.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत मध्यस्थता को खारिज करने से इनकार कर दिया. चीफ जस्टिस ने मध्यस्थता पैनल से इस मामले में रिपोर्ट मांग ली है. पैनल को ये रिपोर्ट 18 जुलाई तक देनी होगी, जिसके बाद 25 जुलाई को इस पर सुनवाई होगी. अब 25 जुलाई को ही ये तय होगा कि इस मामले में रोजाना सुनवाई होगी या नहीं.

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर मध्यस्थता पैनल कहता है कि ये कारगर नहीं है तो तभी से इस मामले की रोजाना सुनवाई की जाएगी. ये सुनवाई ओपन कोर्ट में होगी. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और अब्दुल नज़ीर ने की थी.

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