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सीनियर नेताओं पर दबाव बनाने के लिए क्या अब प्रियंका गांधी देंगी इस्तीफा?

नई दिल्ली: राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के एलान के साथ ही कुछ और लोगों की जवाबदेही तय करने की बात कही थी. राहुल का इशारा पार्टी के सीनियर नेताओं की तरफ था. हालांकि उनका इशारा जिन नेताओं की तरफ था उन्होंने अब तक न तो इस्तीफा दिया है और न ही ऐसी कोई सुगबुगाहट दिख रही है. ऐसे में अब खबर है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी अपने पद से इस्तीफा दे सकती हैं. सूत्रों ने बताया कि अगर जल्द ही सीनियर नेताओं ने इस्तीफे की पेशकश नहीं की तो अगला इस्तीफा प्रियका गांधी का होगा.

 

बता दें कि सीनियर नेताओं पर दबाव बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के महासचिव और प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को इस्तीफा दिया. उन्होंने कहा कि वे लोकसभा चुनाव में हार की ज़िम्मेदारी लेते हैं और पार्टी के महासचिव पद से इस्तीफ़ा देते हैं. मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने भी रविवार को इस्तीफा दिया.

 

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ज्योतिरादित्य सिंधिया और मिलिंद देवड़ा का इस्तीफ़ा देना कई नेताओं को इसलिए भी महत्वपूर्ण लग रहा है क्योंकि ये दोनों युवा नेता राहुल गांधी के दोस्त भी हैं. ज़ाहिर है अपने इस्तीफ़े के बाद राहुल गांधी जिन कांग्रेस के नेताओं पर दबाव बनाना चाहते थे उनके साथ मिलिंद देवड़ा और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल हो गए.

 

लेकिन कांग्रेस के इस दबाव की राजनीति का कोई ज़्यादा असर अभी तक देखने को नहीं मिला है. क्योंकि अभी तक किसी भी सीनियर नेता ने इस्तीफ़े की पेशकश नहीं की है. इस समय किसी के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि युवाओं और बुज़ुर्गों के बीच में समन्वय कौन करे?

 

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अब पार्टी के दूसरे युवा नेता जिनमें जितिन प्रसाद और सचिन पायलट शामिल हैं, राहुल गांधी के साथ खड़े हो गए हैं. दोनों इस बात पर ज़ोर देते रहे हैं कि राहुल गांधी ने जवाबदेही की जो बात की है उस पर अमल करने का समय आ गया है. वहीं दूसरी तरफ सीनियर नेताओं का कहना है कि उन्होंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) में इस्तीफ़े की पेशकश कर दी थी तो अब इस्तीफ़ा देने का क्या मतलब है?

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बता दें कि सीनियर नेताओं पर दबाव बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के महासचिव और प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को इस्तीफा दिया. उन्होंने कहा कि वे लोकसभा चुनाव में हार की ज़िम्मेदारी लेते हैं और पार्टी के महासचिव पद से इस्तीफ़ा देते हैं. मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने भी रविवार को इस्तीफा दिया.

 

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ज्योतिरादित्य सिंधिया और मिलिंद देवड़ा का इस्तीफ़ा देना कई नेताओं को इसलिए भी महत्वपूर्ण लग रहा है क्योंकि ये दोनों युवा नेता राहुल गांधी के दोस्त भी हैं. ज़ाहिर है अपने इस्तीफ़े के बाद राहुल गांधी जिन कांग्रेस के नेताओं पर दबाव बनाना चाहते थे उनके साथ मिलिंद देवड़ा और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल हो गए.

लेकिन कांग्रेस के इस दबाव की राजनीति का कोई ज़्यादा असर अभी तक देखने को नहीं मिला है. क्योंकि अभी तक किसी भी सीनियर नेता ने इस्तीफ़े की पेशकश नहीं की है. इस समय किसी के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि युवाओं और बुज़ुर्गों के बीच में समन्वय कौन करे?

 

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अब पार्टी के दूसरे युवा नेता जिनमें जितिन प्रसाद और सचिन पायलट शामिल हैं, राहुल गांधी के साथ खड़े हो गए हैं. दोनों इस बात पर ज़ोर देते रहे हैं कि राहुल गांधी ने जवाबदेही की जो बात की है उस पर अमल करने का समय आ गया है. वहीं दूसरी तरफ सीनियर नेताओं का कहना है कि उन्होंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) में इस्तीफ़े की पेशकश कर दी थी तो अब इस्तीफ़ा देने का क्या मतलब है?

 

 

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