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सेल्फी से सुधर रही स्कूल में शिक्षकों की उपस्थिति, दो महीने में 700 की सैलरी कटी

लखनऊ सख्त नियमों के बावजूद सरकारी स्कूल में अध्यापकों की अनुपस्थिति रोकने में नाकाम प्रशासन ने अब समस्या को सुलझाने के लिए टेक्नॉलजी का सहारा लिया है। यूपी के बाराबंकी में जिला शिक्षा अधिकारियों ने अपने 7500 अध्यापकों को दिन की शुरुआत करने से पहले क्लास से सेल्फी क्लिक करने का आदेश दिया। अध्यापकों को सख्त लहजे में कहा गया कि क्लास से सेल्फी क्लिक करके भेजें नहीं तो दिन का वेतन कटने के लिए तैयार रहें। पिछले दो महीने में करीब 700 शिक्षकों की सैलरी कट चुकी है।

इसे सेल्फी अटेंडेंस मीटर का नाम दिया गया है। इसके जरिए स्कूल पहुंचते ही अध्यापकों को सबसे पहला काम एक सेल्फी क्लिक करके बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के वेबपेज में पोस्ट करना है। इससे उनकी उपस्थिति दर्ज हो जाएगी। सेल्फी अपलोड करने की डेडलाइन सुबह 8 बजे की है। हालांकि कुछ शिक्षकों ने इस आदेश पर अपना तर्क रखा है। उनका कहना है कि अधिकारी स्कूल में इंटरनेट की धीमी स्पीड और नेटवर्क की समस्या को नहीं समझते हैं।

शिक्षकों ने की इंटरनेट स्पीड और नेटवर्क की शिकायत

राम नगर प्राइमरी स्कूल के एक टीचर ने कहा, ‘जिला अधिकारी यह स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि मोबाइल का इंटरनेट धोखा भी दे सकता है और इससे तस्वीर अपलोड करने में देरी होगी। कभी नेट की स्पीड इतनी धीमी होती है कि सेल्फी पोस्ट ही नहीं हो पाती और हमें पूरे दिन की सैलरी से हाथ धोना पड़ता है।’

शिक्षकों की अनुपस्थिति पर सीएम योगी सख्त

प्रदेश शिक्षा अधिकारी पी सिंह ने कहा कि सेल्फी प्राप्त करने और वेरिफाइ करने की पूरी प्रक्रिया ऑटोमेटेड सिस्टम में है और इसे सीएम योगी आदित्यनाथ और बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल के सख्त आदेश के बाद लागू किया गया है। उन्होंने कहा, ‘अध्यापकों से कहा गया है कि अगर वे 8 बजे तक अपनी सेल्फी पोस्ट नहीं करते हैं तो उनकी पूरे दिन की सैलरी कटेगी।’

गर्मी की छुट्टियों के बाद लागू हुआ आदेश

बाराबंकी में गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूलों के दोबारा खुलने पर जब से नया सिस्टम लागू हुआ है, अब तक 700 शिक्षकों की सैलरी कट चुकी है। इन्हीं में से एक शिक्षक ने बताया, ‘मेरा टेंपो जाम में फंस गया था इसलिए मुझे एक दिन की सैलरी गंवानी पड़ी। बाराबंकी के प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति और फर्जी शिक्षक का मामला काफी जटिल हो गया था। ऐसे कई मामले शिक्षा अधिकारियों के सामने आए जिसमें शिक्षक कक्षा से गायब रहते और सैलरी कटने से बचने के लिए अपनी जगह किसी स्थानीय शख्स को पढ़ाने भेज देते।

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