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J&K सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, सेना के खिलाफ एफआईआर पर कोई पाबंदी नहीं

जम्मू और कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सेना के जवानों के खिलाफ जांच और एफआईआर दर्ज करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। राज्य सरकार ने शोपियां फायरिंग केस में एक आपराधिक मामला दर्ज करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए यह बात कही। इस मामले में सैनिकों ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर कथिततौर पर फायरिंग की थी, जिसमें तीन नागरिकों की जान चली गई। 

सुप्रीम कोर्ट में अपने स्थायी वकील एम. शोएब आलम के जरिए दाखिल किए गए हलफनामे में राज्य ने कहा कि सरकार सभी मामलों में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित कर न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार ने कहा कि शोपियां फायरिंग केस में जांच कोई अपवाद नहीं है। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि एफआईआर में मेजर आदित्य का नाम आरोपी के तौर पर नहीं है और जैसा उनके पिता और लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह ने कहा है, उनकी किसी खास भूमिका का भी जिक्र नहीं है। आपको बता दें कि लेफ्टिनेंट कर्नल सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर कार्यवाही रद्द करने की मांग की है। 

हलफनामे में कहा गया, ‘एफआईआर दर्ज करना किसी भी पक्ष के खिलाफ अपराध को तय नहीं करता है। यह महज जांच की दिशा में एक शुरुआती कदम भर होता है, जिससे सच्चाई सामने आ सके।’ आगे कहा गया, ‘क्रिमिनल प्रसीजर कोड के तहत संज्ञेय अपराध का पता चलने पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति या क्लास या व्यक्तियों को छूट नहीं है, जिसके खिलाफ एफआईआर दर्ज न की जाए।’ 

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले निर्देश दिया था कि शोपियां में 27 जनवरी के इस मामले में जम्मू और कश्मीर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के तहत मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ कोई कड़े कदम न उठाए जाएं। 

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